योग दिवस* किसी एक दिन/सप्ताह जश्न मनाने का उत्सव नहीं है
*योग दिवस* किसी एक दिन/सप्ताह जश्न मनाने का उत्सव नहीं है बल्कि यह नित्य दिन का अभ्यास होना चाहिए। शारीरिक कसरत व्याम मानवों के अंग प्रत्यंग उपांग को मजबूत करते हैं वहीं मानसिक प्राणायाम व्यक्ति को एक दिव्य ऊंचाइयों पर ले जाता है। योग में वह शक्ति है की व्यक्ति पंच भौतिक स्थूल शरीर को छोड़ सूक्ष्म शरीर से लोक परलोक कहीं भी तीव्र गति से यात्रा कर सकता है, किसी दूसरे योगी से बात कर सकता है फिर वापस अपने पंच भौतिक शरीर में लौट सकता है। अनेकानेक सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। भारतीय ऋषि मुनियों ने कई यौगिक अनुसंधान कर उसके फायदे शास्त्रों में उल्लेखित किए है उसे आत्मसात करना चाहिए।
डॉ. अभिषेक कुमार
साहित्यकार व विचारक