होली आई !
होली आई !
होली आई ! होली आई !
देखो वतन में प्रेम का रंग लाई ,
आपस में प्रेम बाँटों ;
रंग संग बाँटों मिठाई ,
होली आई रे भाई ! होली आई !
होली आई रे ! भाई होली आई !
ना करो जात-पात में भेद-भाव
चहुँ दिशाओं में प्रेम-भाव ,
होली त्यौहार मनाओं ,
सब तो हैं भाई-भाई –
एक हो जाओं हिन्दू – मुस्लिम – सिक्ख ईसाई ।
होली आई रे ! होली आई !
देखो प्रेम का रंग लाई ;
होली त्यौहार आती ,
वर्ष में एक बार –
रंग से मिटाओं नफरत ,
करों आपस में प्यार ,
होलिका दहन अनल में ,
मत्सर को जलाऐंगे ;
प्रेम रंग सब को लगाऐंगे ।
होली खेलते नन्हें-मुन्हें –
मार रहे पिचकारी ,
लग रहे कितनी प्यारी ,
भाग -दौड़ हर तरफ शोरगुल हैं ,
होली की रंग – बिरंगे में ,
आज का दुनिया सजा है ,
हर्ष-उल्लास बहुत मज़ा है ,
बच्चें तो बाग का फूल है ,
फूल को काँटो में खिलने देना है ,
बाग को प्रेम रस से सिंच देना है ।
रतन किर्तनिया
पखांजूर
जिला :- कांकेर
राज्य :- छत्तीसगढ़