विजयानन्द के पत्र ‘ एक महत्वपूर्ण पुस्तक
प्रयागराज की पावन धरा के कवि , बहुमुखी साहित्यकार डॉ० विजयानन्द ( बिजेन्द्र प्रताप तिवारी ” विजयानन्द ” ) जी ने अपने साहित्यिक पत्रों को ” विजयानन्द के पत्र ” के रुप में किताब संग्रहित किया है जो कि हिंदी साहित्य यात्रा का जीवंत दस्तावेज है।
संसार का पहला व्यक्तिगत पत्र किसके द्वारा लिखा गया यह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन पत्र की उपयोगिता और उसके महत्व को कभी अस्वीकार नहीं किया गया। हां यह जरूर है कि मानव के बौद्धिक विकास के साथ – साथ पत्र का स्वरूप जरुर बदलता रहा है।
सामान्य जीवन से उठे हुए डॉ०विजयानन्द जी समसामयिक परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए आज अपनी अलग पहचान बनाएं हुए हैं। उनके अनुपम पत्र संग्रह में साहित्यकारों, संपादकों, पाठकों, प्रकाशकों, राजनेताओं व संस्थाओं के पत्र संग्रहित हैं,जो कि आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा प्रदान करेंगी।
संपादक – डॉ०अंजनी कुमार दुबे ‘ भावुक ‘
प्रकाशक – भारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान, साईं मंदिर के पीछे, हवेलिया, झूसी, प्रयागराज-211019
दूरवाणी- +919335138382
समीक्षक – कवि संगम त्रिपाठी जबलपुर, मध्यप्रदेश
चलवाणी-+919407854907