शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा
आज के दिन चंद्रमा पूर 16 कलाओं से परिपूर्ण रहते हैं | आज की विशेषता ये है कि रात्रि 12 बजे अमृत वर्षा होती है |
खीर बनाई जाती है बाहर रखते हैं अमृत के लिये |
शरद पूर्णिमा को महिलाऐं व्रत रखती हैं लड्डू या पेड़े देकर या लेकर सखी बनाते हैं और यही क्रम सालों सा चलता है सत्यनारायण स्वामी की पूजा होती है |लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न होती हैं कृपा बनी रहती है धन धान्य से भंडार भर देतीं हैं पूजा करने के बाद कहानी दो या पांच कहना सुनना होती हैं बाद में प्रसाद बांट कर खुद ग्रहण करना होता है |
कहानी एक राजा थे उनका प्रतिदिन का नियम था कि वो बाजार से जो मिलता खरीद लाते उनका बड़ा सत्य था |
एक दिन बस्ती के लोगों ने एक जुट होकर सलाह की चलो आज हम सब जो भी है खरीद लाते हैं | तो राजा का सत्य कहाँ रहेगा यही किया लोगों ने अब राजा साब गये तो वहाँ बाजार में कुछ न दिख आ गये फिर नौकर चारों को भेजा जाओ देख कर आओ कि कुछ है वे गये तो आकर बताया राजा साब बस दो कचरे की गाड़ी है | राजा ने कहा ले आओ व लोग कचरे की गाड़ी लाये राजा ने लिपे पुते चौक में रखीं | फिर क्या लक्ष्मी जी निकलीं जग मग जगमग हीरे मोती जगमगाने लगे रानी जी आईं बोलीं ये क्या, राजा जी बोले सत्य का है | रानी बोली सत्य इतना व्रत का कितना नहीं होगा व्रत दो विधि बताओ
व्रत को का है मन लगे न दो मन लगे डेड़ पाव खोवा, डेड़ पावन पाव शक्कर जिसके बनाओ जैन लड्डू एक एक सखी को एक पति को एक सत्य नारायण स्वामी को एक एक
ग ऊ को ग्वाल बाल को गर्भवती महिला को खुद प्रसाद ग्रहण करें विधि विधान से पूजन करे बोलो सत्य नारायण स्वामी की जय
श्रीमती राजकुमारी रैकवार राज
जबलपुर मध्यप्रदेश