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आस्था का महापर्व: छठ की महिमा विषयक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी संपन्न

आस्था का महापर्व: छठ की महिमा विषयक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी संपन्न

विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज,के बिहार इकाई द्वारा 13 अक्टूबर को ’आस्था का महापर्व: छठ’ विषयक अंतरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया।युवा साहित्यकार रजनी प्रभा, पटना के कुशल संचालन में कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. प्रो.शैलजा रोला,बंगलोर के मां सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ.रूबी भूषण ,पटना ने छठ की उत्पत्ति ,उसकी विशेषताएं तथा उसके वैज्ञानिक पक्षों की ओर ध्यान आकृष्ट किया।उन्होंने छठ को एक एहसास,एक भावना और सनातन संस्कृति के पहरेदार के रूप में बताया।ठेकुआ, कसार,सिरनी,खुरमा आदि भिन्न_भिन्न पूजन सामग्रियों की विशेषताएं बताई।उन्होंने विदेशों में छठ के अनुभव हमसे साझा किए।
अध्यक्षता कर रहे देहदानी,साहित्यकार सुधीर कुमार श्रीवास्तव,उतर प्रदेश,ने छठ के स्वरूप विस्तार पर जानकारी प्रस्तुत की कि कैसे आज शनै_शनै छठ महापर्व बिहार की सीमा को लांघते हुए भारत के साथ_साथ लगभग के विश्व नौ देशों में अब मनाया जाने लगा है।उन्होंने छठ को अपनों से मिलन का माध्यम बताया।
संस्था के सचिव गोकुलेश्वर कुमार ’द्विवेदी’,ने भी छठ के अपने अनुभव साझा किए और संस्था की रणनीतियों की चर्चा की।सभी उपस्थित अतिथियों और दर्शकों का स्वागत बहुत ही सुंदर ढंग से प्रतिभा पांडे ’ प्रति’ चेन्नई ने प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में कई अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार किए जिनमें डॉ. अरविंद कुमार राजपूत, डॉ. शैलजा रोला,रजनीकांत गिरी, अनीता यादव,अरुण कुमार श्रीवास्तव,राजेंद्र आर्य, डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक, डॉ.कृष्णा मणि श्री,राजीव कुमार भारद्वाज,कपींद्र कुमार,सीतामढ़ी,राजीव कुमार,नागपुर आदि।अंत में कार्यक्रम में सम्मिलित सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापन बहुत ही सुव्यवस्थित और सुंदर ढंग से डॉ. रश्मि लहर,लखनऊ ने किया।

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