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पितृ पक्ष में___हुआ__श्रीमद्भगवत गीता परायण एवं कथा___

पितृ पक्ष में___हुआ__श्रीमद्भगवत गीता परायण एवं कथा___
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श्रीमद्भगवत गीता जी,___कलिकाल में अमृत के रूप में है__
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बक्सर, २०/सितम्बर/२०२४,शुक्रवार को बक्सर, मुसाफिर गंज स्थित श्री श्री राधागोविन्द मंदिर के संचालक एवं श्रीमद्भगवद् श्रीमद्भगवद्गीता के कथा वाचक __मनोहर दास प्रभु जी के मुखार विन्द से पार्वती निवास, बंगाली टोला में पितृ पक्ष के पावन अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता जी के सान्निध्य में कथा एवं प्रवचन का रसपान कराया गया.
प्रभु जी ने अपने श्रीमद्भगवद्गीता कथा के माध्यम से बताये कि श्री गीता जी इस कलिकाल में अमृत के समान हमारी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक द्वन्दों को मिटाकर भगवान श्री कृष्ण के चरणों में शरणागति के तरफ उन्मुख करती है.
श्रीमद्भगवद्गीता हम मानवों को,समस्त नर को नर से नारायण बनने का मार्ग खोलती है.
पितृपक्ष में श्रीमद्भगवद्गीता जी का परायण करना, कथा सुनना अत्यन्त ही पुण्य दायक होता है.
आप सभी सुने होगें, या जानते भी होंगे किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के समय गीता जी का पाठ करया जाता है, उसे किसी न किसी रूप में सुनाया जाता है ताकि उसकी मुक्ति हो जाय. इस घरती पर उत्पन्न सभी नर__नारी मुक्ति चाहतें एवं चाहती हैं.
पर मुक्ति के लिए क्या करते हैं? इस पर कभी विचार करतें है__हम मानव. जन्म लेना, खाना_पीना, ऐश करना और मर जाना, क्या इसलिए हम मानव जन्म पायें है. कभी इस पर विचार करते है, हमलोग.जबतक आनन्द मिलता रहता है तो हम हमलोग सब कुछ भुल जाते हैं, और जहां परिस्थितियां बदली लगते हैं भगवान को कोसने, क्या कभी हम सब विचार करते है कि हम जो कुछ भी देते हैं, वही तो हमकोम मिलता है. सांसारिकता में अगर व्यक्ति आपको कुछ भी देता है, तो पाने वाला धन्यवाद बोलता है.भगवान हमें इस घरती पर सब कुछ दियें , योंकहा जाय तो सभी कुछ उन्हीं का है__क्या कभी भुलकर भी भगवानको धन्यवाद बोलते हैं?
हमें केवल लेने से मतलब है__देना हमारे शब्द कोश में हैही नहीं.
हम पहले देना सीखने कीआदत डालनी होगी.
श्री गीता हमें जीवन केबहुमूल्य जीवन का सिद्धांत सीखाती हैं. श्रीगीता जी के अन्दर वह सभीकुछ समाहित है जो हम पाना चाहतें हैं. जिन ढूंढा तिन पाइयां गहरे पानी बैठ,
जो बौरा डूबन डरा रहा किनारे बैठ.
हम सभी को गीता जी का अध्ययन करना पडेगा, तभी हम कुछ पा सकतें है. एक जीवन क्या क ई जीवन खप जाता है,भक्ति पाने में, भक्ति कोई बाजार की मिठाई नहीं है कि बाजार गये ,और खरीद कर लेते आये.
पितृपक्ष में श्रीमद्भगवद्गीता जी की कथा और भी पुण्य देने वाला होता है.
महाराज परीक्षित जी का उद्धार गीता की कथा सुनने सेही हुआ था.
घुंघकारी की प्रेत योनि से मुक्ति भी श्रीमद्भगवद्गीता जी के श्रवण सेही हुआ था. श्रीमद्भगवद्गीता जी समस्त मानव एवं मानवता के लिए एक वरदान है.
आप सभीसे निवेदन हैकि आप लोग मुसाफिर गंज स्थित श्री श्री राधागोविन्द मंदिर में आईये, देखिये,और समझिये,तब आगे विचार कीजिये.
इस मुहल्ले के पार्वती निवास, में श्रीमद्भगवद्गीता जी का कथा आयोजन बहुत ही महत्तवपूर्ण है,और वह भी पितृपक्ष में.पित्पक्ष में कथा,कराने,सुनने और सुनाने आपके पितृदेव को आत्मिक संतुष्टि मिलती हैं एवं पितृदोष का निवारण भी होता है.
जय श्री कृष्ण__
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे.
___ कथा के पहले हनुमान प्रभु, सुनीता माता, आराध्या माता ने मनोहर दास प्रभुजी का स्वागत किये.
स्वागत भाषण डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌, किये.
श्रीमद्भगवद्गीता जी कथा में__ गुडिया माता, तारा माता, हेमलता मात, कनक माता,विनय प्रभु, आयूष प्रभु, मनीष प्रभु, कृषृणा जायसवाल प्रभु सहित अन्य गण मान्य महानुभवों__डॉ ०महेंद्र जी, रामेश्वर प्रसाद वर्मा, शशिभूषण मिश्र, ई०रामाधार जी, दीदी श्रीमती मीना सिंह जी, पंकज, दयानंद, डॉ शशांक शेखर, आदि सहित अन्य बन्धुओं की उपस्थिति रही।
साथहीसाथ_गणेश उपाध्याय, मृत्युंजय चौधरी, बाला जी की भी उपस्थिति रही.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे .
के सामुहिक संकीर्तन, आरती एवं प्रसाद वितरण के पश्चात श्रीमद्भगवद्गीता जी का प्रवचन का विराम किया गया.

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