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सबको प्यारी हिंदी भाषा

सबको प्यारी हिंदी भाषा

बाँध रखा है जिसने सबको,
अपनेपन की डोर से |
सबको अपनाए ,रहे दूर वह,
भेदभाव के शोर से |

जाति-धर्म हो कोई किसी का ,
माने सबको वह अपना |
दिल की बात पहुँचे मन तक,
परस्पर प्रेम बढ़े, इसका सपना |

अनपढ़- ज्ञानी सब करते इसमें ,
अपने मन के भावों को व्यक्त |
सहज सरल मनभावन भाषा,
हर कोई इस पर आसक्त |

जो कहते ,वही लिखते हैं,
गुंजाइश ज़रा नहीं भ्रम की |
देवनागरी के अक्षर आकर्षक,
वैज्ञानिक लिपि यह जग की |

यह भारत की अमर आत्मा ,
संस्कृति संस्कारों की संवाहक |
विस्तृत शब्दकोश इसका ,
अखंड एकता की परिचायक |

ज्ञान ,विज्ञान ,कला की रक्षक,
समृद्ध साहित्य है, इसकी शान |
सूचना ,प्रौद्योगिकी ,तकनीक ,
संचार माध्यमों की यह जान |

इंटरनेट की दुनिया में इसका,
जादू सर चढ़कर बोल रहा |
विस्तृत जीवंत साहित्य इसका,
नित नए द्वार यह खोल रहा |

रंगमयी और रागमयी है ,
सबको प्यारी हिंदी भाषा |
माँ भारती को अतिप्रिय ,
हर हिंदुस्तानी के मन की आशा |

हिंदी की गरिमा अखंड रहे ,
स्वाभिमान की यह परिभाषा है |
विश्व भाषा सर्वोच्च बने,
जन- जन की यह अभिलाषा है |

कविता जैन ‘कुहुक’
एनटीपीसी, कोरबा (छ.ग.)

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