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आधुनिक परिवेश का उपन्यास “खिल उठे गुलाब “

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त महामंत्री सेवा निवृत्त डी आई ओ एस आ. शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ जी द्वारा प्राप्त हुई उपन्यास “खिल उठे गुलाब” की समीक्षा आप सभी स्नेहीजन मित्रों के लिए —

आधुनिक परिवेश का उपन्यास “खिल उठे गुलाब “
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हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका सीमा गर्ग मंजरी का उपन्यास ‘खिल उठे गुलाब ‘ को आद्योपान्त पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। यह उपन्यास मुख्य रूप से वर्तमान पीढ़ी के सामाजिक सम्बन्धों को दिखाता हुआ शहरी संस्कृति पर आधारित है। लेखिका ने वर्तमान पीढ़ी की सोच को आगे रखकर पुरातन पीढ़ी के साथ सामंजस्य बिठाये रखने में इस उपन्यास के माध्यम से सफलता प्राप्त की है ।
उपन्यास की कथावस्तु रोचक है । भाषा व शैली सरस और प्रवाहपूर्ण है । उपन्यास में लेखिका ने अपने कविधर्म को भी बखूबी निभाया है । तभी तो समयानुसार कथानक की माँग के परिप्रेक्ष्य में अपनी कविताओं को भी लेखिका ने इस उपन्यास में सम्मिलित किया है,जिससे उपन्यास की रोचकता की अभिवृद्धि ही हुई है ।
उपन्यास के सभी आवश्यक तत्व ‘खिल उठे गुलाब ‘ में परिलक्षित होते हैं । कथानक, कथोपकथन,भाषा, शैली,पात्रों का चरित्र चित्रण और सम्यक उद्देश्य उपन्यास की विशेष पहचान हैं । लगभग 280 पृष्ठों में निबद्ध यह कृति प्रेरक और मनोरंजक है । निश्चित रूप से लेखिका का यह उपन्यास सफलतम उपन्यास है । इसे पढ़कर आधुनिक पीढी मनोरंजन के साथ साथ मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकती है ।
मेरी अशेष सद्भावनायें हैं कि लेखिका सीमा जी की लेखनी इसी प्रकार अनवरत गतिशील रहे और उन्हें माँ सरस्वती की कृपा सदैव प्राप्त होती रहे ।
डाॅ.शिव मंगल सिंह मंगल
लखनऊ

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