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महर्षि कश्यप जी महाराज की जयंती पर विशेष

महर्षि कश्यप जी महाराज की जयंती पर विशेष

( सप्त ऋषियों में सर्वश्रेष्ठ ऋषि हैं_____महर्षि कश्यप जी, महाराज.)

भारतवर्ष श्रृषि__महर्षियों का देश रहा है, है,और रहेगा.
पूरी सृष्टि हमारे सप्त ऋषियों की संतान है, चाहे वह जलचर हो, नभचर हो, या फिर जलचर हो, कहने का तात्पर्य___समस्त मानव जाति,सभी जीव_जन्तु, अन्य सभी लोग इन्हीं सप्त श्रृषियों की संतान है,.
इन सप्त श्रृषियों में__ महर्षि कश्यप जी, महाराज, विश्वामित्र जी, वशिष्ठ जी,, पराशर जी, जमदग्नि जी, गौतम जी, आदि ऋषियों की ऋंखला है.
भाद्रपद माह की पंचमी तिथि को_महर्षि कश्यप जी महाराज की जयंती मनाई जाती है.
महर्षि कश्यप जी, महाराज जी के पावन चरणों में नमन करते हुए, भोजपुरी दुलार मंच, एवं प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा, भारत के___राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सलाहकार__डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌, साहित्यकार ,मरणोपरांत देहदानी, महर्षि कश्यप जी, महाराज के विषय में कुछ लिखने का दुस्साहस करने जा रहा है ताकि समाज के समस्त महानुभाव अपने पूर्वजों के बारें मेंजानें__मानें और उन्हें कदाचित याद करें
महर्षि कश्यप जी, ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे. सृष्टि के विकास में इनकी अहम भूमिका रही है.
महर्षि कश्यप जी की तो वैसे सम्भवत: तेरह पत्नियॉ थी, जिनमें अदिती और दीति प्रमुख रूप से हैं __कहा जाता हैऔर माना जाता है कि आदिती के द्वारा समस्त देवताओं का और दीतिके द्वारा समस्त दानवों सहित अन्य पत्नियों के द्वारा समस्त जीव __जन्तुओं की उत्पति हुई, कहने का तात्पर्य पूरी सृष्टि महाराज कश्यप जी, संतान के रूप में घरती पर उत्पन्न हुई.
सभी अपने__अपने गुण_स्वभाव__कर्म से आब्द्ध हुए. परन्तु क्या मनुष्य अपने गुण_स्वभाव और कर्म के लिए क्या कुछ कर रहाहै__ या सिर्फ मानव का रूप धारण कर अमानवीय कृत्य के तरफ उन्मुख है.
महर्षि कश्यप जी, बडे ही तपस्वी, महान भक्त एवं परम ज्ञानी भी थे.
अपने तपस्या के बल पर उन्होंने भगवान श्री रामचंद्र जी को पुत्र के प्राप्त किये.
महर्षि कश्यप जी, के महान तप से प्रसन्न हो कर भगवान नारायण विष्णु भगवान वरदान में स्वयं उनको पुत्र में प्राप्त किये.
कालान्तर में__त्रेतायुग में महर्षि कश्यप जी और माता आदितिही__ महाराज दशरथ जी एवं माता कौशल्या के में जन्म पाकर भगवान श्री राम जी के मात__पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त किये.
ऐसे महान संत के बारें में जानना हम सभी का नैतिक कर्तव्य बनता है, केवल इन्हीं के बारें वरन् समस्त ऋषि__महर्षियों के बारें में जाने_माने_समझे कि इन समस्त देवतुल्य ऋषि_महर्षियों का हमारे देश के लिए, समाज के लिए, मानवता के लिए क्या संदेश दिये हैं?
तभी तो हम अपने आपको जानेंगे, पहचानेंगे.
एक और विशेष बात हर पूजा में संकल्प करते समय अपने गोत्राचार्य का नाम लिया जाता है.
पूजा पाठ के दौरान अगर किसी को अपने गोत्राचार्य का नाम याद नहीं रहताहै तो तुरंत गोत्राचार्य के रूप में महर्षि कश्यप जी महाराज का नाम ले लेते हैं__ऐसे हैं हमारे और हम सभी आदि गोत्राचार्य__महर्षि कश्यप जी, महाराज .
एक विशेष बात और__ आज ही ऋषि पंचमी व्रत औरपूजन भी है.__इस व्रत में व्रत करने वाले चिडचिडा के दातुन से इक्कीस बार मुंह धोते है,चिडचिडा के पत्ते को इक्कीस बार अपने माथे पर रखकर गंगा जी में इक्कीस बार गोता लगाकर नहाते हैं, फिर पूजा करके___ श्रृषि पंचमी की कथा सुनकर__केले के पत्ते पर तेनी केचावल का भात, भैंस की दूध की दही,करमी का साग और सेंधा नमक खाकर अपनी को पूर्ण करते हैं.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह पूजा खासकर महिलाओं के लिए होता, क्योंकि जो महिलाएं__रजस्वला की स्थिति में भोजन बनाती है और खिलाती है, तो इस ऋषि पंचमी के पूजन से उसका परिमार्जन हो जाता है……
जय महर्षि कश्यप जी, महाराज.

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