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लिए कृष्ण अवतार

लिए कृष्ण अवतार

तीन लोक से मथुरा न्यारी,
तेरी तारणहार!
मात पिता को मुक्त कराने,
लिए कृष्ण अवतार!
बंशीधर ने रच के लीला,
कंस पे पाया पार!
मथुरा जन के अश्रु मिटाने ,
लिए कृष्ण अवतार।

ईश देवकी मात जनीं जब,
खुल गए सातों द्वार।
अयस बेड़ियां मुक्त कराने,
लिए कृष्ण अवतार।
चले पिता कुलदीपक लेकर,
जब यमुना के पार।
गोकुल ,नंद, यशोदा तारन,
लिए कृष्ण अवतार।

कुपित कंस की कुटिल चाल से ,
जूझे तारणहार।
दैत्य पूतना के तारण को,
लिए कृष्ण अवतार।
त्राहि त्राहि कर चरम पा गया ,
कंस का अत्याचार ।
उस पापी को मुक्ति दिलाने,
लिए कृष्ण अवतार।

राधा रानी विरह गीत में,
खोजें पालनहार।
राधा-राधा जप करने को,
लिए कृष्ण अवतार।
मीरा ने कलियुग में गाया,
श्याम मेरे भरतार।
राधा-मीरा अमर रहें तब,
लिए कृष्ण अवतार।

पांचाली चौपड़ में हारी,
पांडव दुखित अपार।
लाज बचाने द्रुपदसुता की,
लिए कृष्ण अवतार
दुर्योधन ने छल से छीनी,
राज काज सरकार।
युद्ध स्थल में धूलि चटाने,
लिए कृष्ण अवतार।

छल-बल से सब नियम तोड़कर,
दुश्मन ने ली रार!
कौरव सेना के मर्दन को,
लिए कृष्ण अवतार।
पंचवीर पांडव के हित में ,
गीता ज्ञान से वार।
महाभारत को अमर कराने,
लिए कृष्ण अवतार।

जगदीश चन्द्र जोशी मेरठ

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