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गीत

गीत :-
फूल खिले गुलशन में
संघर्ष हैं कितने
इस जीवन में –
ठोकर खा के गिरना है
फिर खड़े होकर भी चलना है
संघर्ष तो जिंदगी
संघर्ष से लड़ना है
इस जीवन में
जीना इस संसार में
हजारों काँटों के बीच –
फूल खिले गुलशन में ।
टूटे खिलौना
टूटे सपन सलोना
नहीं है रोना
होंगे कितने दुख दर्द
इस जीवन में
सीख लो फूल से
जो हजारों काँटों में
खिलते हैं गुलशन में
सब कुछ भूलना है
हमें तो फूल बन के
गुलशन में खिलना है
हमें तो जीना है
पर ए ना भूलना
नेक राहों में हैं चलना
खून बन जाए पसीना
जीवन के हर गम भूल के
गाओं फ़साना दिल के
मुस्कुराना है जीवन में
जैसे हो तुम
फूल खिले गुलशन में
रात – दिन , दिन रात
यहीं है यहाँ का दस्तूर
फूल से खुशबू कब दूर
छिपी रहती अन्दर में
जैसे मोती लिये सीप
छिपती समुन्दर में
तुम से इतना कहना
सब कुछ सहना
इस जीवन में
पल – पल की लड़ाई
डट के लड़ना हैं
हिम्मत जागा ले
जो छिपा है तेरे अन्दर में
तुम्हें जीना है जैसे
फूल खिले गुलशन में
होंगे साँसें तेरी धड़कन में
डोरी कहीं टूट ना जाए
इस जीवन में
कुछ अपने लिए करना
कुछ वतन के लिए करना
सब को हैं एक दिन मरना
जब तक जीयों
इस जीवन में
नेक राहों में चलना
खिलो तुम जैसे
फूल खिले गुलशन में ।
रतन किर्तनिया
जिला :- कांकेर

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