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सीख

सीख

दुनिया में आए हो, कुछ, ऐसा कर लो आप ।
नाम और व्यक्तित्व ही, बने आपकी छाप ।।

कभी नहीं करना अभिमान ।
पा सकते हो तब सम्मान ।।
काम करो दुनिया के सारे ।
सदा दीन के बनो सहारे ।।

हर परिस्थिति का करो सामना ।
हाथ ईश का सदा थामना ।।
भय का ना हो कोई स्थान ।
पैदा होता है व्यवधान ।।

मन से तुम कमजोर ना होना ।
मन की शांति कभी न खोना ।।
इसका केवल यही उपाय ।
अंतर्मन शांत कर लिया जाए ।।

अलग समय पर अलग स्थिति ।
दृढ़ हो आपकी, मन:स्थिति ।।
दुनिया के हैं रंग अनेक ।
देखने का बस ढ़ंग हो एक ।।

मोह जगत का कभी ना करना ।
सरल रहेगा तभी उबरना ।।
हो गृहस्थ, वैराग्य हो मन में ।
त्याग भावना हो जीवन में ।।

गीता का उपदेश यही है ।
इस जग को, संदेश यही है ।।
कार्य करो पर रहो अकर्ता ।
कर्ता वो है, पालनकर्ता ।।

अवसर आए कभी ना छोड़ो ।
लाभ दृष्टि संग उसको मोड़ो ।।
प्रबल भावना जागे मन में ।
नहीं निराशा हो जीवन में ।।

अडिग भाव से खड़े रहो तुम ।
सच्चाई पर अड़े रहो तुम ।।
छोटी बातों को तुम टालो ।
उनको प्रभु चरणों में डालो ।।

ख़ुद की मर्जी, ख़ुद की मंशा ।
भले करे न कोई प्रशंसा ।।
परिस्थितियों का तूफान न थमता ।
पैदा करो स्वयं में क्षमता ।।

सारा जगत ही है एक शाला ।
हर कोई है सीखने वाला ।।
किसी प्रशिक्षण से मत भागो ।
कल सोए थे अब तो जागो ।।

सुखमय जीवन जीने का, ये ही है आधार ।
स्वयं को सक्षम जानकर, ख़ुद से करिए प्यार ।।

अमर सिंह वर्मा, जबलपुर

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