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विचार विमर्श

विचार विमर्श

वर्तमान में मेरे द्वारा दो पिक्चरें मर्डर 2 और एनिमल पिक्चर जिसकी की लोगों ने बड़ी तारीफ करी थी।
देखने बैठे जो कि बहुत ही कम ही देख सके ।
क्योंकि इन फिल्मों को और उसकी भाषा को मेरे लिए सुनना अत्यंत असहज हो रहा था झेलना भी मुश्किल हो रहा था।
बात-बात पर मां बहन की गाली, सिगरेट पीना शराब की बोतले हर वक्त खुल जाती थी। इस प्रकार के दृश्य की जिसे आप देख ही नहीं सकते साथ में इस तरह की भाषा का उपयोग किया गया कुछ समझ से परे था। कि यह किस तरह की फिल्में हमारे देश में बन रही है और लोगों को यही पसंद है ।हम कहते हैं आप जो दिखाओगे हर व्यक्ति वही देखेगा क्योंकि एक बार टिकट लेने के बाद बंदे का पिक्चर देखना मजबूरी है, उसको पसंद आ रही है कि नहीं आ रही है उसके लिए मजबूरी है यह सब देखना पैसे जो चुकाए गए हैं
युवा पीढ़ी को इसी तरह की फिल्में देखने मिल रही है उनका भी कोई दोष नहीं है कोई विरोध करने वाला ही नहीं है ।
समझ से परे हैं कि सेंसर बोर्ड इस तरह की फिल्मों को पास ही क्यों करता है लगता है इसे लोगों की पसंद बनाकर आगे बढ़ा दिया जाता है। सवाल यह उठता है कि इनका विरोध कौन करें मुझे तो लगता है कि हमारे देश की युवा पीढ़ी संस्कृति को बिगड़ने के लिए इस तरह की फिल्में बात-बात में गाली सिगरेट शराब के दृश्य दिखाएं जाना अश्लीलता भरे हुए दृश्य हर फिल्म की टीआरपी बढ़ाने के लिए बनाई जा रही है। भारतीय संस्कृति पर कुठारा घात है सोची समझी साजिश के तहत देश की युवा पीढ़ी को बिगाड़ने का काम सुनियोजित तरीके से चल रहा है
राष्ट्र के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह इस तरह की फिल्मों का पुरजोर विरोध करें क्योंकि जो हमारे युवा पीढ़ी देखेगी जो बच्चे सीखेंगे समाज को इस रूप में भी प्रस्तुत करेंगे।

डॉ सरिता अग्निहोत्री मंडला मध्य प्रदेश

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