एक नजर प्रेरक गीतमाला “प्रज्ञांजलि” के संबंध में
एक नजर प्रेरक गीतमाला “प्रज्ञांजलि” के संबंध में
एक समाजनिष्ठ कवि, लेखक व साहित्यकार का पहचान लोक कल्याण के निमित जीने वाले तथा मानवता प्रेमी की तरह हो तो शायद इस धरा पर कोई भी प्राणी दुखी ना रहे । आज पैसे व भौतिक सुख सुविधाएं तो सभी के पास है । अधिकांश व्यक्तियों के भीतर यदि कोई कमियां महसूस की जा रही है तो वह सदज्ञान की कमी है । एक ऐसा ज्ञान जो मानव को महामानव बना दे ।
मेरे द्वारा प्रकाशित यह काव्य संग्रह प्रेरक गीत माला “प्रज्ञांजलि” संगीतमय आनंद के साथ-साथ नवपीढ़ियों को संस्कार देने वाला, अज्ञान की राह में भटकते लोगों, कुमार्गगामी,षड्विकारों, नशापान और फैशन से ग्रस्त युवाओं तथा संगठन के पदाधिकारी को नई दिशा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा ।
इस पुस्तक में योग ,आयुर्वेद व खानपान को दुरुस्त करते हुए हम स्वस्थ कैसे रहें ,इस बात पर भी लयबद्ध उल्लेख किया गया है। साथ ही समाज में व्याप्त वर्तमान समस्याओं व उनके निदान के लिए आवश्यक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया यह काव्य संग्रह साहित्यकारों का एक दर्पण है ।
उपरोक्त बातें इस पुस्तक में गीत क्रमांक 179
‘मेरी कविता जीवन का सार’
और
गीत क्रमांक 181 ‘ कवियों से मेरी आस ‘ इन दोनों गीत मात्र को ही पढ़कर समझा जा सकता है ।
आपका अपना भाई
बसन्त कुमार “ऋतुराज”
अभनपुर, रायपुर,छत्तीसगढ़
2 Comments
Bahut sunder pryash sachha yug nirmani ka satsankalp is pushtak me dekhne ko milega.
प्रज्ञांजलि प्रेरक गीत माला निश्चित रूप से आधुनिकता के चकाचौंध में भटके हुए लोगों को अपनी संस्कृति की गरिमा का बोध कराने में सफल सिद्ध होगा इसके लेखक को बहुत बहुत शुभकामनाए