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सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव
(सोशल मीडिया अभिशाप या वरदान)

संचार क्रान्ति का एक जमाना रेडियो था फिर ये क्रान्ति अपने विस्फोटक रूप मे बढ़ी ओर बाद मे इसने इंटरनेट ओर सेटेलाइट युग मे प्रवेश किया जिससे घर बैठे ही आप पूरी दुनिया से जुड़ गये। इसी इंटरनेट ने गूगल इन्स्टाग्राम ट्विटर फ़ेस बुक व्हाट्सप यू टयूब जैसे सोशल मीडिया को जन्म दिया जिसकी वजह से आज विशालकाय दुनिया भी छोटी हो गयी एक कोने से दूसरे कोने तक आदमी एक दूसरे से जुड़ गया शिक्षा स्वास्थ्य वैश्विक ज्ञान मे अदभुत परिवर्तन देखने को मिला। सबसे बडा परिवर्तन मेरी नज़र मे तो ये आया कि हमे पूरी दुनिया से वाकिफ हो गये ओर पूरी दुनिया आज पुराने जंगले साफ कर नय सौपानो को गढ़ने मे लग गयी है। पर जैसा कि प्रकृति का सिद्धांत है कि हर अच्छाई मे बुराई का भी समावेश होता है तो भला सोशल मीडिया इससे कैसे अछुता रह्ता। इसके दुशप्रभाव ये है कि आज के बच्चे समय से पहले ही बढ़े हो रहे है बचपन के साथ मनुष्यता भी कई खोती जा रही है व्यवसायिकता किसी भस्मासुर जैसे निजता को निगले जा रही है व्यभिचार अपराध अश्लीलता जैसी समाजिक बुराइयाँ बदस्तूर फैलती जा रही है। प्रेम संवेदना अपनापन सब दिवास्वाप्न होते जा रहे है । पारिवार अब छोटे हो गये है मोहल्ला संस्कृति गुम हो गयी है। परंतु एक दौर अब ऐसा आने का भी चल रहा है कि आदमी अब अपने पारम्परिक मूल्यो को भी समझने लगा है ओर वो आज के इस बदलते माहौल से इसका सामन्जस्य भी बैठाने की योजना पर काम कर रहा है ओर हमे आगे सोशल मीडिया का बहुत जल्द कल्याणकारी स्वरूप भी देखने को मिलेगा।

संदीप सक्सेना
जबलपुर

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