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नशा

नशा

(नशा मुक्त भारत-)

सभी सद्जनो को मेरा नमस्कार । आज विश्व नशा निषेध दिवस है। मैं सोचता हूं कि आपसे इस विषय पर कैसे चर्चा करूं गद्यात्मक तौर पर या काव्यात्मक रूप मे । पर चर्चा जरूरी है करना तो है। आज हमारे देश की अगर बात करें तो तकरीबन 70% आबादी तो किसी ना किसी प्रकार के नशे मे लिप्त है ये ऐसा ही है कि हमारे देश के विनाश का सबसे बडा कारण भी बन चुका है ओर ये धीमा ज़हर कई जिंदगियों को निगलते जा रहा है । मैं अगर इसके कारण पर जाऊं तो लगता है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा कुछ मनचाहा ना कर पाने का अवसाद पारिवारिक महत्वकान्षाय किशोर अवस्था का चंचलपन आदि ही है। जैसा कहा भी जाता है कि किसी मनुष्य की प्रथम पाठशाला उसका परिवार ही होता है इसलिये पारिवारिक परिवेश भी इस भटकाव का एक मुख्य कारण हो सकता है । अगर हम अपनी संतान को शुरु से ही आत्मविश्वासी आत्मकेन्द्रित पारिवारिक संस्कारों मे ढालें तो हम अपनी संतानो को इस जानलेवा नशों से दूर रख सकते है। इसके लिये समाज,सरकार, को भी विशेष अभियान चलाना चाहिये । हमे अपने लोगों को इस धीमे ज़हर के खतरनाक परिणामो को बताना चाहिये उन्हे नशा छोड़ने के लिये प्रेरित करना चाहिये उन्हे ऐसे लोगों से मिलवाना चाहिये जो नशा छोड़ चुके है। कोई भी आपके आस पास किसी भी प्रकार का नशा करते मिले तो बगैर सम्वंधों की परवाह किये उन्हे मना करें क्योंकि एक भी व्यक्ति को हम नशा छुड़वाने मे कामयाब हुए तो ये हमारी इंसानियत ओर देश के प्रति सच्ची सेवा होगी।

संदीप सक्सेना
जबलपुर म प्र

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