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अपनी भाषा का अपमान हम कब तक सहेंगे

अपनी भाषा का अपमान हम कब तक सहेंगे। एक व्यक्ति हमारी भाषा का अपमान करता है और हम चुपचाप बैठे देखते हैं यह बहुत ही सोचनीय विषय है।

आज हम अपनी भाषा को सीखने से कतराते हैं और अंग्रेजी को सीखने के लिए मुंहमांगी कीमत चुका रहे हैं यह अपनी भाषा अपनी बोली अपनी माटी के साथ हम कितना न्याय कर रहे हैं जरा सोचिए।
हमारी सरकारें हिंदी का ढोल पीटने भर का महज कार्य करती है। हिंदी दिवस मना लेने भर से कुछ नहीं होगा। हिंदी को सशक्त और समृद्ध बनाने हेतु उसे राष्ट्रभाषा बनाने का काम करना पड़ेगा। तब हम अपनी भाषा का परचम लहरा सकते हैं।
हिंदी भाषी देश दुनिया की हर भाषा और बोली का सम्मान करते हैं। सभी भाषाएं ज्ञान देती है ऐसे में हिंदी का अपमान करना कहां तक उचित है।
हिंदी दिवस को बड़े लय से हम हिंदी भारत माता के माथे की बिंदी हैं गाते हैं और एक व्यक्ति अपने राजनीतिक फायदे के लिए हिंदी की चिंदी उड़ा देता है आखिर कब तक।
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में कलमकार समाचारपत्र संपादक पत्रकार बंधु व आम जनमानस जब तक आगे नहीं आयेंगे तब तक हिंदी का चंहुमुखी विकास नहीं होगा। हिंदी के प्रचार-प्रसार में सभी वर्ग हमें सहयोग प्रदान करें।

कवि परिचय

मेरा नाम संगम लाल
हु मैं इस भारत का लाल
मोतीलाल-जवाहर लाल
और लालो के लालबहादुर
जन्मस्थान है ग्राम कदमपुर
पोस्ट-बेती जिला-प्रतापगढ़
लालनपालन का शुभस्थान छत्तीसगढ़
मेरा नाम संगम लाल……भारत का लाल…
जन्मतिथि -03.06.1962
संपर्क
कवि संगम त्रिपाठी
संस्थापक – प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा
जबलपुर म.प्र.
संपर्क….9407854907

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