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औरंगाबाद में शक्ति उपासना की गौरवशाली परंपरा रही है

औरंगाबाद में शक्ति उपासना की गौरवशाली परंपरा रही है
औरंगाबाद 16/4/24
धार्मिक,पौराणिक एवं ऐतिहासिक जिला औरंगाबाद अपनी सनातनी परंपरा के लिए जानी जाती रही है। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि सूर्य पूजा के लिए देव उमंगा,वैष्णव परंपरा के विष्णु धाम एवं सीता थापा,शैव संप्रदाय के लिए देवकुंड धाम को जाना जाता है। इस तरह शाक्त परंपरा के भी यहां जितने तीर्थ स्थल है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां शक्ति उपासकों की संख्या भी काफी रही होगी।तभी तो शक्ति उपासना के स्थल यहां भरे पड़े हैं। जिले के दक्षिणी छोर पर अवस्थित गजना धाम निराकार शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल है तो पूर्वी छोर पर उमंगेश्वरी माता का मंदिर अपनी विशिष्ट छाप छोड़ती है। जिले के मध्य भाग में सतबहिनी माता अपनी शक्ति एवं सत की परंपरा को उत्सर्जित करती है तो पश्चिमी छोर पर सत्यचंडी धाम सती के रक्तिम हस्त गिरने का प्रमाण प्रस्तुत करती है।जिले के उत्तरी भाग में पीपरा का अष्टभुजी माता मंदिर एवं भृगुरारी में अवस्थित नकटी भवानी माता का मंदिर जिले के गौरव को बढ़ाते हैं।पूरे जिले के हर हिस्से में शाक्त परंपरा के तीर्थ स्थल इंगित करते हैं कि हमारी शक्ति उपासना के स्थल कितने गौरवशाली रहे होगें। गजना माता के मंदिर में शक्ति के निराकार स्वरूप की पूजा होती है यहां थोड़े से द्रवित पदार्थ में किलो भर आंटा की पुरी छानकर प्रसाद का भोग लगाया जाता है जो कि एक चमत्कार से कम नहीं है। सतबहिनी माता का मंदिर भी अपनी सती की सच्चाई को व्याख्यायित करती है।यहां भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। सैकड़ो वर्ष पूर्व एक व्यक्ति के नेत्र ज्योति चली गई थी तो माता की कृपा से उसकी नेत्र ज्योति पुनः वापस आ गई।उमंगा शक्तिपीठ पहाड़ी पर अवस्थित है जो अत्यंत ही रमणीय है। उमंगेश्वरी माता के नाम से उन्हें जाना जाता है जहां जाने पर हर इंसान का जीवन उमंग से परिपूर्ण हो जाता है।उसके जीवन की खुशियां लौट आती है।सत्यचंडी माता का मंदिर भी सती के रक्तिम हस्त गिरने का प्रमाण को दोहराता है जहां मां लक्ष्मी साक्षात निवास करती हैं निर्धन सच्चे मन से उपासना करता है तो उसका पूरा घर धन-धान्य से भर जाता है।पिपरा का अष्टभुजी मंदिर विंध्याचल का एहसास कराती है साक्षात विंध्यवासिनी मां का ही यहां रूप दिखाई पड़ता है। भृगु ऋषि की कर्मस्थली भृगुरारी में मां नकटी भवानी का अद्भुत मंदिर है जिसके दर्शन मात्र मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। नवरात्र के मौके पर सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ लगती है।

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