विश्व कविता दिवस – 21मार्च
विश्व कविता दिवस – 21मार्च
*कौन है कवि और क्या है कविता!*
*साधना सोलंकी, जयपुर*
ह्रदय में घुमड़ता भाव सागर…
भाव रस भरे…भाव पीर से घिरे…
आंख की नम कोर से छलकते…
कागज पर पाती से उतरते…
आबदार मोती शब्दों के…
बिना चीख चिल्लाहट के… बींधते…बिंधते!
—
कवि और कविता की परिभाषा समय के मिजाज के अनुसार बदलती रही हैं। कहा गया कि… जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि!
यानी दिखने में आम इंसान, पर शब्द चितेरा, भावों का सपेरा! और इस सपेरे ने भाव वीणा को विविध सुर शब्दों से, जीवन के विविध रस रंगो से नवाजा तो जगत ने उसे कवि कहा! पद्य विधा में कविता कभी तुकान्त , कभी अतुकांत हुई। नव रस छलकाती, शब्द लड़ियों से सजती संवरती श्रंगार से इतराई, कभी उमंग उल्लास, जोश से नहाई तो विद्रोही भी बनी। सीधी सपाट तुकबंदी पर प्रश्न चिन्ह लगे और कहा गया कि वनिता और कविता ढकी हुई…झिलमिलाती, झांकती ही अच्छी लगती हैं…
बहरहाल कविता के संदर्भ में विद्वान जन, स्वयं कवि क्या कहते हैं, एक बानगी गौर फरमाइए…
👉 एक नजर पहले अपनी वेद विरासत पर…
– बात महाभारतम् की हो, रामायण की हो या भगवदगीता की…इनकी श्लोक लेखन की कला काव्य जगत की सर्वश्रेष्ठ धरोहर है।
यह अचंभित करती है और नए सिरे से धार्मिक ऐतिहासिक काव्य कला को समझने की मांग करती है। महाभारत के एक लाख श्लोक, रामायण के चौबीस सहस्र श्लोक, भगवतगीता के सात सौ श्लोक काव्य सरंचना में छंद सार्थकता के अनुपम उदाहरण हैं। विग्यान और गणित ग्यान की पराकाष्ठा को छूते हैं ये छंद। अनुष्टुप, त्रिष्टुप की स्पष्टता को लिए सटीक सोलह वर्ण और इसके बाद आठ और चार के लघु और गुरु वर्ण इस तरह व्यवस्थित कि इनसे छेड़छाड़ की गुंजाइश ही नहीं!
अकेला कवि!
अकेला कवि कठघरा होता है
इससे पहले कि ‘वह’ तुम्हें
सिलसिले से काटकर अलग कर दे
कविता पर बहस शुरू करो
और शहर को अपनी ओर झुका लो !
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👉क्या है कविता!
कोई पहनावा है…?
कुर्ता-पाजामा है… ?
‘ना, भाई, ना…
कविता-शब्दों की अदालत में
मुजरिम के कटघरे में खड़े
बेकसूर आदमी का …
हलफनामा है।’
— धूमिल
👉वियोगी होगा पहला कवि…
आह से उपजा होगा गान!
निकल कर आँखों से चुपचाप… बही होगी कविता अनजान!
-सुमित्रानंदन पंत
👉कविता शब्दों की एक प्रकार की विलक्षण बकवास है!
-इसहाक बैरो
👉कविता वह है जो अनुवाद में खो जाती है!
-रॉबर्ट फ्रॉस्ट
👉कविता संचार के तरीकों की खोज है। यह खुलेपन, लचीलेपन और सुनने की निरंतर तत्परता के संग संचालित होती है।
-फ्लूर एडकॉक
👉कविता सशक्त भावनाओं का सहज प्रवाह है।
-विलियम वर्ड्सवर्थ
👉कविता मूलत: जीवन की आलोचना है।
-मैथ्यू अर्नोल्ड
👉कविता जीवन को गले से लगाने का एक तरीका है
-रॉबर्ट फ्रॉस्ट
👉जैसे-जैसे सभ्यता आगे बढ़ती है, कविता का वैसे वैसे ह्रास होता है!
-लॉर्ड मैकाले
👉कविता एक बोलती हुई तस्वीर है।
-सर फिलिप सिडनी
👉सर्वोत्तम शब्द, अपने सर्वोत्तम क्रम में…
-सैमुअल टेलर कोलरिज
👉 इतिहास की तुलना में अधिक दार्शनिक और अधिक ध्यान देने योग्य है!
-अरस्तू – काव्यशास्त्र
👉मैं जानता हूं, मैं मूर्ख हूं,
एक प्यार करने के लिए…और दूसरा रोने वाली कविता में ऐसा कहने के लिए!
-जॉन डोने – द ट्रिपल फ़ूल
👉शायरी महज़ एक दवा है सर!
-जॉर्ज फ़ार्कुहार
👉 कविता किसी पेड़ पर पत्तियों की तरह स्वाभाविक रूप से उपजती है। कवि कुदरती है, बनाया नहीं जा सकता।
-जॉन कीट्स
👉कविता लिखना गुलाब की पंखुड़ी गिराने और प्रतिध्वनि की प्रतीक्षा करने जैसा है!
-डॉन मार्क्विस
👉जो कुछ गद्य नहीं है वह पद्य है; और जो कुछ पद्य नहीं है वह गद्य है…
-मोलिएरे – ले बुर्जुआ जेंटिलहोमे
👉मेरा विषय युद्ध और युद्ध की करुणा है। कविता दया में है
-विल्फ्रेड ओवेन
👉कवि और कविता के सम्मान का दिन
21 मार्च के दिन को यूनेस्को ने विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 25 बरस पहले सन1999 में की थी। पेरिस में आयोजित अपने 30वें आम सम्मेलन के अवसर पर “राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कविता आंदोलनों को नई मान्यता और प्रोत्साहन देने” के लिए इस दिन के माध्यम से दुनिया भर में कविता के उत्सव को प्रेरित करने, लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करने और काव्य अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने की आशा से की गई । यह अतीत और वर्तमान दोनों के कवियों को सम्मानित करने, कविता पाठ की मौखिक परंपरा को पुनर्जीवित करने का भी दिन है। दिवस विशेष का मकसद कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था। खूबसूरत भाषाई अभिव्यक्ति के जश्न का दिन भी इसे कह सकते हैं। कुल मिलाकर, यह कविता को समर्पित एक दिन है…जिसकी ऊर्जा जीवन को संवेदना से संवारे…मानवीय सरोकारों से भरे!