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श्रावण (सावन) पूर्णिमा__एक___महत्व है__तीन__एक___रक्षा बन्धन, दूसरा__संस्कृति दिवस,और, तीसरा__लव __कुश जयंती

श्रावण (सावन) पूर्णिमा__एक___महत्व है__तीन__एक___रक्षा बन्धन, दूसरा__संस्कृति दिवस,और, तीसरा__लव __कुश जयंती

बक्सर, १८/अगस्त/२०२४, श्रावण का महीना तो देवादिदेव बाबा भोलेनाथ,भगवान शंकर, आशुतोष भगवान यानि भगवान शिव जी को समर्पित माह है. साथ ही साथ__यह मास तीन अति महत्तवपूर्ण है, क्योंकि इसी महीने में रक्षा _बंधन, संस्कृति दिवस एवं लव__कुश जयंती भी मनायी जाती है.
अपनी बातों के सिलसिले में सबसे पहले___ रक्षा बन्धन के संर्दभ में बताये कि पूरी सृष्टि में रक्ष बन्धन का त्योहार की शुरुआत, देवासुर संग्राम के समय माता शचि ने असुरों पर देवताओं द्वारा विजय पाने की उत्कट इच्छा से उन्होंने अपने पति इन्द्र के हाथों में रक्षा_सूत्र बांधा था. जो कि रक्षा बन्धन का पहला स्त्रोत माना जाता है. जो बदस्तुर आज तक विभिन्न रुपों में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता हैं.
देवासुर संग्राम के पश्चात यह पर्व पुरोहित और यजमान के रूप में शुरु जो आज तक मनाया जाता है, क्योंकि पुरोहित हमेशा अपने यजमान की हर तरह से रक्षा करने का दायित्व का निर्वहन करते चले आ रहे हैं.
मध्काल में इसके रूप में परिवर्तन हुआ, यवनों द्वारा कुटिलता पूर्वक भारतीय ललनाओं का जब उन यवनों शोषण करने की मंशा से कार्य करना शुरु किये तब यह त्यौहार भाई__बहन के रूप में पूरे समाज में सामने आया ,बहनों ने अपने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर अपनी रक्षा का दायित्व भाई पर सौंपती थी. इसी संर्दभ में कर्णावती द्वारा हुमायूं भेजा गया रक्षा सूत्र का इसी परिपेक्ष्य देखा गया है. रक्षा-बंधन की अनेक कथाएं इतिहास के पन्नों में स्वराक्षरों में लिपिबद्ध है.
राजा बलि की कथा भी इससे जुडी हुई है.
वर्तमान समय यह त्यौहार विशेष रूप भाई__बहनों के रुप केसाथ__साथ, पुरोहित __यजमान के साथ जुडा है.
जिसको बहन नहीं है , वो तो अपने नसीब को ठोकता है, फिर भी ऐसे लोग धर्म की बहन बनाकर अपने नसीब संवारते है.
दूसरी____संस्कृत दिवस____संस्कृत आर्यावर्त की पहचान है, आत्मा है.
भारतीय वांगमय में ____वेद_पुराण, स्मृति, पुराण,शास्त्र, रामायण, महाभारत आदि सभीआदि, धार्मिक पुस्तकें सभी संस्कृत मषा में हीहै.
माना जाता है कि___संस्कृत भषा ही___सभी भाषाओं की जननी है.यह भी निर्विवाद सत्य है_ कि जबसे संस्कृत भाषा की हानि होने लगी तभी से हमारी पहचान का संकट आने लगा, हमारी संस्कृत भाषा पर सबसे अधिक कुठाराघात अंग्रेजी शासनकाल में हुआ, जिसका खामियाजा हम आज तक भुगत रहें हैं, अपनी भाषा और संस्कृति को भूलकर अपनेही पैरों खुद ही कुल्हाड़ी मार कर अपने आपको अति आधुनिक बताने का कुत्सित कार्य करने में मशगुल हैं.
अब है तीसरा____लव__कुश जयंती___ भगवान श्री रामचंद्र जी केपरम यशस्वी, वीर पुत्र लव__कुश की.
बचपन से ही लव_कुश भगवान वाल्मीकि जी के आश्रम में जन्म लेकर, पलकर, शस्त्र_शास्त्रकी शिक्षा लेकर अपनी वीरता का परचम लहरायेथे.खुद भगवान श्री राम जी के अश्वमेघ यज्ञ का घोडा रोककर.
आज के वर्तमान समय के समस्त युवाओं के लिए लव औरकुश प्रेरणा के स्तम्भ है. अकारण बैठे रहना, स्वालम्बी न होना,अपना कार्य नकरके केवल सरकारी नौकरी के चक्कर में अपनी क्षमता को खत्म करते रहना, देश को आगे बढाने में लव__कुश से सीख लेकर उल्टी परिस्थितियों में भीअपने कुशलतापूर्वक कार्य करके___घर,परिवार और देश का नाम ऊंचा करने में अपने लगाना ही युवाओं का नैतिक कर्तव्यपथ का भान कराता है____लव__कुश की जयंती.
उक्त तीनों महत्तवपूर्ण पर्व एवं त्यौहार समस्त मानवता केलिए___ मार्गदर्शन का कार्य करता रहेगा…….
जय…जय….जय…..

डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन‌,

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