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काशी साहित्यिक संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन सफल।

काशी साहित्यिक संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कवि सम्मेलन शाम पांच बजे से शुरू होकर रात्रि नौ बजे खत्म हुआ।इस कवि काव्य गोष्ठी में देश तथा विदेश के विभिन्न रचनाकारों ने काव्य पाठ किया इस आनलाईन काव्य गोष्ठी का आयोजन अभूतपूर्व रहा जिसमे सम्मिलित समस्त कलमकार व साहित्यकारों ने नारी पर एक से बढ़कर एक रचनाए प्रस्तुत की पटल मानो नारी शक्ति से सुरभित हो गया । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुनीता जौहरी, मुख्य अतिथि रचिता सिंह,उषा टिबडेवाल, तथा सरस्वती वंदना डॉ शशि जायसवाल और उषा जी ने बारी-बारी कर कार्यक्रम की शुरुआत की इसी क्रम में रचनाकारों में “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस”तथा महाशिवरात्रि के अवसर पर आनलाइन काव्य गोष्ठी में भाग लेने वालों के नाम-कवि मकरंद रमाकांत जेना,ललिता ,डाॅ रीता सिंह,सुनीलानंद, जयपुर ,डॉ मंजुला पांडेय,किरन अग्रवाल, प्रतापगढ़, यूपी,देवीशंकर दिव्य, टोंक, राजस्थान,श्रीमती सविता बांगड़ सुर भोपाल म. प्र.से,उषा टिबड़ेवाल चेन्नई, डॉ . बन्सीलाल गाडीलोहार,श्रीमती संध्या श्रीवास्तव “सॉंझ” छतरपुर मध्यप्रदेश,डॉ इन्दु गुप्ता, फरीदाबाद हरियाणा, साधना छिरोल्या दमोह मध्य प्रदेश, प्रो पूनम चौहान धामपुर बिजनौर उत्तर प्रदेश,ममता तिवारी,अनामिका गुप्ता,नीलम प्रभा  सिन्हा,डाॅ०(कु०)शशि जायसवाल

प्रयागराज, उत्तर,रमा त्यागी एकाकी , इंदिरापुरम , ग़ाज़ियाबाद,नवनीता दुबे नूपुर, मंडला,बसंत श्रीवास वसंत (नरगोड़ा) रामकृष्ण मिशन आश्रम नारायणपुर छत्तीसगढ़,सुमन वर्मा, नजिबाबाद, जिला बिजनौर, डॉ सुष्मिता,प्रियंका भूतड़ा,डॉ खन्ना प्रसाद अमीन,ममता सिंह राठौर,करिश्मा वर्मा,नवनीता दुबे नूपुर,मंडला ,मप्र,रेणु मिश्रा
30. रचिता सिंह जी
रचनाओं के क्रम में पढी़ गई पंक्तियां,,
कि जीवन में समस्या है तो क्या ,
मैं समाधान लिए चलता हूं।
है जीवन में परीक्षा तो क्या
मैं परिणाम लिए चलता हु ।
खिलेंद्र मिरे मुंगेली (छत्तीसगढ़),कोमल हैं कमज़ोर नहीं तू शक्ति तुझमें भारी हैं।
इस सृष्टि की अनुपम रचना
जो एक सुंदर नारी हैं ।।
श्रीमती सविता बांगड़ सुर भोपाल,नारी हूँ आगे ही आगे मैं बढ़ती हूँ।
चाहे हो देश का राज चलाना,
चाहे सीमा पर हो बंदूक चलाना, देश की सेवा मैं करती हूँ,
मेहनत से मैं ना डरती हूँ।
नारी हूँ आगे ही आगे मैं बढ़ती हूँ।ललिता (दिल्ली),महिला हूँ एक आधार हूँ मैं
परिवार का सुन्दर सार हूँ मैं
माना कहते सब अर्धांगिनी
सत्प्रेम कर्म व्यवहार हूँ मैं डाॅ०(कु०)शशि जायसवाल
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,नारी तुम श्रद्धा की मूरत हो,
जीवन की अविरल थारा हो।
सृष्टि की तुम ही निर्मात्री बन,
नारीत्व का फर्ज निभाती हो।।रेणु मिश्रा *धूल* गुरुग्राम,न हारी हूॅं मैं!.. नारी हूॅं मैं!
अपराजित प्रकृति की आदिशक्ति में
भी मैं ही तो हूॅं!
अनुराग माया मोहिनी की भावभक्ति में
भी मैं ही तो हूॅं!
शक्ति सौंदर्य प्रेम की पवित्र त्रिवेणी में
भी मैं ही तो हूॅं!
रामायण महाभारत घटना-दुर्घटनाओं के मूल में
भी मैं ही तो हूॅं।
न हारी हूॅं मैं! नारी हूॅं मैं!,डॉ.बन्सीलाल गाडीलोहार, नाशिक, महाराष्ट्र,कमजोर नहीं मैं स्त्री हूँ लोहे का सीना रखती हूँ
जन्मदायिनी हूँ मजबूर नहीं, हृदय में ममता रखती हूँ।
संपूर्ण नहीं तुम मेरे बिन अर्द्धांगिनी बनकर रहती हूँ ,
वीरों की माँ हूँ मैं बेटो की शहादत सहती हूँ ,रमा त्यागी एकाकी,कभी सीता हूँ मैं ,कभी राधा हूँ मैं
राम की पत्नी, कृष्णा को प्यारी हूँ मैं आदर और प्यार देने के लिए
मन में सब का विश्वास हूं मैं।डॉ रश्मि शुक्ला प्रयागराज उत्तर प्रदेश,इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा,”मुझे आप सबसे मिलकर बहुत आनंद आया और आपके विचार जानकार बहुत प्रसन्नता हुई । आपमें से यदि कोई समाज के लिए छोटा सा भी काम करे तो या करना चाहता है तो मुझे अवश्य बताएँ । मुझे बहुत प्रसन्नता होगी ।” इस काव्य गोष्ठी का संचालन ललिता जी ने किया वे बड़ी धैर्य के साथ और मुख पर मधुर मुस्कान लिए लगातार चार घंटे तक संचालन करती रही, जिसके लिए वे बधाई की पात्र है।अंत में कार्यक्रम का समापन करते समय इस संस्थान की संस्थापिका सुनीता जौहरी जी ने सबका धन्यवाद करते हुए अगले काव्य गोष्ठी में मिलने का वादा कर किया।

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