Search for:

वैश्विक स्तर पर हिंदी स्थापित हो

हिंदी केवल एक भाषा ही नही अपितु समूचे भारत वर्ष का गौरव है एक भारतीय होने के नाते हम सभी का यह परम कर्तव्य बनता है कि हम सभी हिंदी की अस्मिता को बनाये रखे आज हिंदी केवल भारत ही नही बल्कि विश्व के कई देशों में भी अच्छी तरह बोली व समझी जाती है हिंदी साहित्य जगत में हम बात करे महान उपन्यासकार, कहानीकार मुंशी प्रेमचंद जी ,प्रसाद जी ,निराला जी ,पंत जी महादेवी वर्मा जी और कई हजारों हजार साहित्यकार सब हिंदी की ही देन है जो अपने कृतित्व के कारण युगों युगों तक याद किये जायेंगे जब तक हिंदी की अस्मिता बनी रहेगी ।
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिये बनी राष्ट्रीय हिंदी प्रेरणा प्रचारणी सभा भारत जिसमे समूचे भारत वर्ष के हजारों कवि मनीषी जुड़े है जो न केवल भारत मे बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हिंदी का परचम लहराने में पूरे वर्ष भर कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों का आयोजित करती है हिंदी की अस्मिता सदैव बनी रहेगी ऐसी हम माँ शारदे से कामना करते है साथ ही निसंदेह हिंदी न केवल देश बल्कि वैश्विक स्तर पर और अधिक वर्चस्व स्थापित करेगी ।
आधुनिक समय मे हिंदी की अस्मिता को बनाये रखने के लिये हमें एकजुट होकर खण्ड स्तर से लेकर समूचे देश प्रदेश भर में हिंदी की अलख जगाने की महती आवश्यकता है ताकि पुनः हिंदी अपना खोया हुआ अस्तित्व वापस पा सके हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने हेतु हमे सर्वप्रथम अपने स्तर से एक नई शुरुआत करनी होगी आज हर कोई अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी मीडियम में करवाता है अंग्रेजी को लोग अपनी शान समझते है और हिंदी में बात करने में लोगो को नही भाता है हमे यह कभी भी नही भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी मातृभाषा है और अपनी मातृभाषा का स्तर बढ़ाने के लिये हमें मिलजुलकर उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने हेतु प्रयास करना चाहिये मैं विश्व की किसी भी भाषा का विरोधी नही हूँ परन्तु अपनी मातृभाषा को तवज्जो देना मैं अपना परम कर्तव्य व दायित्व समझता हूं पहले हिंदी उसके बाद मेरे लिये अन्य भाषाओ स्थान आता है देश प्रदेश भर में फैली हुई राष्ट्रीय हिंदी प्रेरणा प्रचारणी सभा का प्रांतीय संयोजक देवभूमि उत्तराखंड होने के नाते और एक हिंदी भाषी व हिंदी का छात्र होने के नाते मैं हिंदी को वरीयता देना व सदैव उसकी अस्मिता को बनाये रखने के लिये लोगो को भी और खुद भी सदैव जागरूक करता रहूंगा माँ शारदे से यही कामना करते है कि हिंदी का केवल देश ही नही बल्कि वैश्विक स्तर पर और अधिक वर्चस्व स्थापित हो ऐसी कामना करता हूँ ।

ललित डोभाल ‘अल्पज्ञ ‘
बड़कोट उत्तरकाशी उत्तराखण्ड

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required