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अलविदा छोटी लाइन ट्रेन कृति भेंट की

जबलपुर – संस्कारधानी जबलपुर से गोंदिया छोटी लाइन ट्रेन चलती थी जो कि विकास की गंगा में बड़ी लाइन में परिवर्तित हो गई। अलविदा छोटी लाइन ट्रेन यह कृति उन्होंने ट्रेन बंद होने के तत्काल बाद लिख कर अपने कस्बे से गुजरने वाले ट्रेन के आत्मीय भावों को अभिव्यक्त करने की कोशिश की है।
मेट्रो यात्रा के समयकाल में छोटी लाइन पर कृति प्रकाशित करना और छोटी लाइन पर भावाकुल हो जाना संवेदनशील मन का ही प्रतीक है। कवि – कथाकार अजय बोपचे ने छोटी लाइन ट्रेन के माध्यम से जो भाव चित्र उकेरे हैं वह उनके रचनात्मक और संवेदनशील मन का परिणाम है। इस कृति में रचनाकार छोटी लाइन ट्रेन के माध्यम से आत्मकथा स्वरूप ट्रेन, यात्री, खोमचे वाले, प्रकृति आदि के संबंध में अविस्मरणीय संस्मरण भाव अभिव्यक्त किए हैं।
संस्कारधानी जबलपुर में घंसौर निवासी अजय बोपचे ने अपनी कृति अलविदा छोटी लाइन ट्रेन कवि संगम त्रिपाठी को भेंट की।

गाड़ी बुला रही है
सीटी बजा रही है
चलना ही जिंदगी है
देखो वो जा रही है……

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