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संत श्रीसारीरामदास जी

संत श्रीसारीरामदास जी

अनन्तानन्दाचार्य के शिष्य, श्रीसारीरामदास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

परम वैष्णव सन्त, भगवद् धर्म का करते प्रचार
भगवत मार्ग पर लाकर लोगों का करते उद्धार
भगवत भक्ति का प्रचार ही था उद्देश्य एक खास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

एक बार भ्रमण करते वे ऐसे ग्राम में आए
जहां लोग वैष्णवद्वेषी नास्तिकता अपनाए
एक व्यक्ति का द्वार खटकाया जा करके आवास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

जय श्रीसियाराम का जयकारा जोर से लगाया
इनके जयकारे को सुन गृहस्वामी बाहर आया
कुवाक्यो की बौछार लगा दी आकर इनके पास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

सन्त प्रकृति रामदास जी लेकिन शान्त खड़े रहे
अपनी साधुता वाले मूल सिद्धांत पर अड़े रहे
उनका यह बर्ताव भी उस दुष्ट को न आया रास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

इनका शान्तभाव देख क्रोध से पागल हो गया
धक्का देकर इन्हें अपने द्वार से बाहर कर दिया
बोला अगर दुबारा दिखे बनोगे गुस्से का ग्रास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

इनके मन पर बातों का पड़ा न कोई भी प्रभाव
नगरी के बाहर जाकर बैठ गए शान्त स्वभाव
सन्त कार्य होता है अंधेरे में करे प्रकाश
भगवद् विमुखों में जगाया,ईश्वर के प्रति विश्वास

ग्रामवासियों के प्रति हृदय में तनिक रोष नहीं था
बुराई हावी थी हृदय पर उनका दोष नहीं था
भक्ति की अलख जगाने घूम रहा था प्रभु का दास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

संयोगवश जब आप बैठे थे नदी के किनारे
उसी समय मृत्यु को प्राप्त हुए थे राज दुलारे
करुण- क्रन्दन कर-कर के टूट रही थी राजन साँस
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

शव दाह हेतु जब राजा नदी के किनारे आए
राजा का करुण- क्रन्दन रामदास जी न सह पाए
सारीराम पास आ बोले मत हो राजन उदास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

ब्राम्हण, साधु- सन्तों की सेवा प्रतिज्ञा लेते हो
सबके प्रति सद्भाव और भगवन्नाम भजन करते हो
जीवित कर दूंगा मैं बालक लगा प्रभु से अरदास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

सबने शपथ ली न करेंगे अब सन्तों का अपमान
सभी प्रेमपूर्वक करेंगे ईश्वर का गुणगान
हम रोज शीश झुकाएंगे जहां होगा प्रभु का वास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

सारीराम ने शालग्राम पर तुलसी दल चढ़ाया
पादोदक कुँवर के मुख में डाल मृत्यु को भगाया
बालक ने आँखें खोली राजन का मिटा सब त्रास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

सभी लोग करने लगे रामदास की जय जयकार
भक्ति पथ का पथिक बनाकर सभी पर किया उपकार
निज भक्तों के हृदय में सदा करते श्री हरि निवास
भगवद् विमुखों में जगाया, ईश्वर के प्रति विश्वास

दोहा-
मन निर्मल होगा नहीं,बिना भजे हरि नाम।
हरि कृपा के बिना कभी, मिले नहीं सुखधाम।।

राम जी तिवारी “राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

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