ऐ मेरे मन स्मरण कर, मनन भी कर
ऐ मेरे मन स्मरण कर, मनन भी कर
मौत शब्द सबको डराने वाला होता है,
जिसे सुनकर हर जीव काँप जाता है,
पर सत्य यह है कि जीतेजी जो कष्ट,
मिलता है, मृत्यु के बाद भूल जाता है।
प्राय: रिश्तों व परिवार के बारे में भी,
कुछ ऐसे ही भ्रम पैदा किये जाते हैं,
वस्तुस्थिति यह है कि समय आने पर
रिश्ते व परिवार ही साथ खड़े होते हैं।
जिस तरह एक पौधे से वृक्ष बन
जाने में बहुत दिन लग जाते हैं,
एक दूसरे का विश्वास पनपने
में भी तो बहुत दिन लग जाते हैं।
मनुष्य के व्यक्तित्व को परिभाषित
करने के लिये दो बातें महत्वपूर्ण हैं,
हमारा धैर्य जब हमारे पास कुछ न हो,
और बर्ताव जब पास में सब कुछ हो।
धैर्य रख परमात्मा पर विश्वास रख,
जीवन व्यतीत हो रहा घड़ी घड़ी कर,
आदित्य अब समय ख़त्म हो रहा है,
ऐ मेरे मन स्मरण कर, मनन भी कर।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ उत्तर प्रदेश