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मोबाइल फोन की गिरफ्त में नौनिहाल

डॉ लाल सिंह किरार
सहायक प्राध्यापक, हिंदी
शासकीय महाविद्यालय रजोधा पोरसा जिला मुरैना (मध्य प्रदेश)
ईमेल आई डी
Lalsinghkirar @gmail.com
मोबाइल न ९७१३६२८०५०

 

*मोबाइल फोन की गिरफ्त में नौनिहाल* जिम्मेदार कौन ?

वैज्ञानिक चमत्कारों के इस युग में दुनियां में नित नए अविष्कार पर अविष्कार हो रहे हैं जो कि निश्चित रूप से मानव जीवन को आधुनिक सुख सुविधाओं और विलासिता की वस्तुओ से मानव शरीर को सुख सुविधाओं से सुसज्जित और परिपूर्ण कर सरल और सहल जीवन जीने के संसाधन उलब्ध कराते है ।होना भी चाहिए क्योंकि पृथ्वी का सबसे समर्थ व बुद्विजीवी प्राणी होने के नाते उसका अधिकार कहा जा सकता हैं। इन साधनों में आधुनिक उपकरण, कम्प्यूटर, नैनों टेक्नोलोजी, हवासे बाते करती गाड़ी, साज सज्जा की वस्तुएं आदि इन सब सुविधा युक्त साधनों के साथ एक ऐसी वस्तु का भी अविष्कार हुआ जो मानव समुदाय के लिए अति महत्वपूर्ण और दुनियां की दूरी को कम करने वाला कहा जाए तो अतिशोक्ति न होगी और वह साधन था मोबाइल फोन, मोबाइल फोन के आने से मानव के जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ कि हजारों कोश बैठे स्वजन से बात करने में आसानी होने लगी साथ ही हर वह खबर या बात वह सूचना जिसको इससे पूर्व पहुंचने में महीनों लगते थे वह चंद मिनटों में पहुचने लगी, मानव जीवन सरल और सहज हो गया दुनियां की दूरी कम हो गई चमत्कार तो तब हो गया जब मोबाइल फोन ने स्मार्ट फोन का रूप धारण किया, फिर तो मानो एक नए युग का सूत्र पात हुआ परिवर्तन की इस लहर ने मानव समुदाय के हाथ दुनियां की सारी जानकारी हाथ लग गई ऐसा लगा जैसे अल्लाह दीन का चिराग मिल गया हो , अमेरिका में बैठा डॉक्टर भारत में ऑपरेशन कर सकता हैं, भारत में बैठा आदमी दुनियां के किसी भी देश फ्रांस, रूस, जापान में वीडियो कॉल के माध्यम से अपनी बैठक को संबोधित करने लगा,निश्चित रूप से कहा जाए तो एक स्वागत योग्य और प्रसशनीय कार्य था जिसके लिए मानव समुदाय बधाई का पात्र हैं। व्यापार से लेकर स्वास्थ्य, परिवहन,शिक्षा,प्रोधोगिकीय, खेल,रोजगार,मनोरंजन , साहित्य आदि में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और कार्यों में गति आने लगी और दुनियां की सारी जानकारी जिसमें कृषि के क्षेत्र में की गई खोज हो, प्रिय व अप्रिय घटना हो, वैज्ञानिक अनुसंधान हो, साहित्य में लिखा हुआ उपन्यास, कविता, कहानी हो या खेलों में उल्लेखनीय योगदान हो एक क्लिक में जन मानस तक पहुंचने लगी ।
इन सब कार्यों के साथ एक समस्या भी उत्तपन्न हो गई और वह समस्या यह थी कि वर्तमान परिदृश्य पर गौर करें तो हम पाएंगे कि हमारे नौनिहाल बच्चें मोबाइल फोन के प्रति इतने व्याकुल रहते है कि पूछो मत, जैसे ही मोबाइल फोन उनको दिखा उसको पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, जैसे ही उनके हाथ लगा लेकर बैठ जाते हैं । जो एक गंभीर व चिता का विषय हैं इस पर मानव समुदाय को चिंतन की विशेष आवश्यकता हैं। इस गंभीर होती समस्या पर हमको तत्काल ध्यान देने की जरूरत हैं । कही देर न हो जाए । क्योंकि इससे बच्चों का बचपन तो बर्बाद हो ही रहा हैं, साथ ही उनका भविष्य भी अंधकार मय नजर आता है , विश्व स्वास्थ्य संगठन कि हालिया रिपोर्ट इस पर अपनी चिंता जाहिर कर चुकी हैं रिपोर्ट में कहा हैं कि अधिक समय तक मोबाइल फोन चलाने से बच्चें चैतन्य शून्य होने के साथ साथ अपनी सोचने समझने की क्षमता भी खोते जा रहे है । बात बात पर उग्र होना और हर समस्या का समाधान गूगल पर खोजते नजर आते हैं। साथ ही वे अपनो से बड़ो का सम्मान,छोटो को प्यार, माता पिता के प्रति समर्पण भूलते जा रहे हैं । जिससे हमारे राष्ट्र व समाज के मानव मूल्यों का बहुत ज्यादा हिरास हो रहा हैं । जो हमारे जैसे संस्कार वान राष्ट्र के लिए किसी भी तरह से हितकर नही कहा जा सकता, हमको आज से ही अपने मासूम बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखने का सकल्प लेना होगा । क्योंकि प्राय देखा जा रहा हैं कि बच्चें जैसे ही मोबाइल फोन को आस पास देखते हैं तो उनका सारा ध्यान मोबाइल फोन पर केंद्रीय हो जाता है। मोबाइल फोन हाथ में आते ही उसको लेकर घंटों तक बैठे रहते है। जिसमें से अधिकांस समय वे खेल खेलते हैं मोबाइल फोन को आंखों के काफी पास रख कर एक ही स्थिति में घंटो बैठे या लेटे रहते हैं जो उनके स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक व शारीरिक कमजोरी को बड़ाने के लिए उत्तरदाई कहा जा सकता हैं जो बालपन में चश्मा लगना, चश्में का बार बार नंबर बढ़ना, चिड़चिड़ा होना, जल्दी गुस्सा आना, जिद्दीपन, मानसिक संतुलन खराब होना आदि समस्याओं का कारण कहा जा सकता हैं ।
अत: हमको चाहिए कि हम समय रहते अपने बच्चों को मोबाइल फोन से उनको जितना हो सके दूर रखें यदि संभव हो तो स्वयं भी घर में कम से कम मोबाइल फोन का उपयोग करें । साथ ही एक संकल्प ले कि आज और अभी से हम सप्ताह में एक दिन मोबाइल फोन का उपवास करेंगे उन चौबीस घंटो में अति महत्वपूर्ण बात के अलावा उससे हाथ नहीं लगाएंगे और इस समय का उपयोग अपने बच्चों के साथ प्रश्न मंच, कहानी,कविता, लोक गीत, साहित्यिक चर्चा का आयोजन कर समाज में एक नई प्रथा का आरंभ करेंगे । जिससे हमको और हमारे नौनिहाल बच्चों को शांति, ज्ञान , मनोरंजन के साथ साथ बहुत अधिक स्वास्थ्य लाभ भी होगा । हाल ही में हुए सर्वे से यह सिद्ध हुआ हैं कि 90 % प्रतिशत से अधिक महाविद्यालय के छात्र अपने साथ मोबाइल फोन पास रखकर सोते हैं वह 70% प्रतिशत छात्रों ने कम नीद आना तथा 50% प्रतिशत छात्रों का कहना हैं कि वे दिन में थका थका महसूस करते है मोबाइल फोन के बिना बैचेनी रहती हैं इन सब बातों पर गौर करें तो हम पाते हैं कि यदि समय रहते इस विकराल होती समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समस्या हमारे नौनिहाल बच्चों का जीवन बर्बाद तो करेगी ही साथ ही देश के भविष्य को भी खत्म कर देगी किसी साहित्यकार ने लिखा हैं कि

“युग परिवर्तन की बेला में,
आओ साथ निभाए हम ।।
मोबाइल फोन मुक्त हो बचपन,
ऐसा संकल्प दौहराए हम ।।

हमको चाहिर कि हम इस गंभीर समस्या पर आज और अभी से चिंतन कर इसके समाधान के उचित प्रयासों के लिए कार्य करें क्योंकि किसी भी राष्ट्र को विकसित और मजबूत बनाने की जिम्मेदारी युवाओं की होती हैं यदि हमारे युवा यू गुमराह होते रहे । और मोबाइल फोन पर अपना समय और जवानी खपाते रहे तो आने वाला कल हमको माफ नहीं करेगा, क्योंकि पालकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को हर उस समस्या और उसके परिणाम तथा दुष्परिणाम से अवगत कराए जो भविष्य में उसके समक्ष प्रगट हो सकती हैं साथ ही अपने अनुभव वह समाधान से अवगत कराए जो उन्होंने अपने जीवन में देखी हो या कही अनुभव किया हो जिससे कल को नौनिहाल बच्चें यह न कह सकें कि जब यह सब आपको पता था तो हमको आपने क्यों नहीं बताया , इसलिए यह जिम्मेदारी हमारी बनती हैं उनको अच्छे बुरे का ज्ञान हमने नहीं दिया तथा विचार शून्य होती युवा पीढी को हमने नहीं बचाया, क्योंकि यदि हम चाहते हैं कि हमारा देश दिन प्रति दिन विकास करें सारी दुनियां का सिर मोहर बने तो हम सब को मिलकर अपने बच्चों को समझाए कि मोबाइल फोन से दूरी बनाए मोबाइल फोन की रील देखने से जीवन नहीं चलेगा जीवन तो जीवन के रियल दृश्य देखने से चलेगा,उस समय का उपयोग वे खेल खेलने, पढ़ने , लिखने, अन्य कौशल में लगाए जिसमें हमारे पारंपरिक खेल जैसे कबड्डी, खो खो, साप सीडी, लूडो, टेनिस, क्रिकेट, फुटबॉल, छुपा छुपी, सितोलिया, चार पच्ची, कुश्ती आदि जिसके खेलने से शारारिक बल, मानसिक बल और बुद्धि का विकास होगा साथ ही दादा दादी, नाना नानी, बुआ , बहन के साथ कहानी सुने जीवन के पूर्व अनुभवों को सुने और उनसे सीखे जिससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर संपन्न होगी तथा राष्ट्र निर्माण में यह कदम मील का पत्थर साबित होगी और हम और हमारे नौनिहाल बच्चें एक खुशहाल तथा निरोगी वह भय मुक्त जीवन जी सकेंगे ।

युवा वही जिसकी वाणी का, ओज नहीं मर सकता हैं ।
जो अपने संकल्प की खातिर , स्वयं से लड़ सकता हैं ।।

*संदर्भ सूची*

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