क्योंकि आज होली है
क्योंकि आज होली है
रूठी हुई राधा वर्षो बाद श्याम से बोली है।
मुझे भी प्यार का रंग लगाओ कान्हा आज होली है।।
मस्ती में घूमती फिरती दीवानों की टोली है
यह दुनिया नफरत, लालच और मतलब की रंगोली है
इंसानियत से रिश्ते निभाओ क्योंकि आज होली है।।
जिसने सत्य, न्याय के लिए भ्रष्टाचार की पोल खोली है
लक्ष्मी का सामना होते ही वह फिर कहां बोली है
सोशल मीडिया ने रिश्तों में बिना मोबाइल के मिलने की आस घोली है।।
आज फिर फूलों की खुशबू ब्रज भाषा में बोली है
बिहारी जी के प्यार में मथुरा की जनता डोली है
अयोध्या में बरसों बाद रामलला की पहली होली है।।
बजरंगी ने ओढ़ी आज भगवा रंग की चोली है
सारी जनता एक साथ में अवध की भाषा बोली है
रघुवीरा के साथ में खेले अवध धाम में होली है।।
रंग प्रेम का बचाना कोई नकली रंगों की होली है
हर पल रंग बदलती दुनिया रंगहीन सी होली है
हिल मिलकर सब साथ निभाना यही प्रेम की बोली है।।
रूठी हुई राधा बरसों बाद श्याम से बोली है
मुझे भी प्यार का रंग लगाओ कान्हा आज होली है।।
अंतर्राष्ट्रीय व्यंगकार कवि राजकुमार अहिरवार (प्रेरणा)
विदिशा मध्य प्रदेश