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गीत गोविंद होते हैं…

गीत गोविंद होते हैं…
“सनातन धर्म और प्रभु के नाम कविता कि पैगाम,”
नरसिंहपुर…सदर में आयोजित लक्ष्मी नारायण यज्ञ व श्रीमद भागवत कथा आयोजन में समिति द्वारा “सनातन धर्म और प्रभु के नाम कविता का पैगाम”कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें आमंत्रित कवियों ने सुंदर शानदार कविताएं प्रस्तुत कर कार्यक्रम में समा बांधा।
कीरत पटेल की रचना नर्मदा मैया तुमको समझ न पाए से कार्यक्रम का आगाज हुआ।डा गणेश कुमार सोनी ने गुनगुनाया.. पढ़ सकूं तुम्हारे प्रेम को मैं,वो शब्द कहां से लाऊं। प्रशांत शर्मा सरल ने..यज्ञ ही प्रबंध है यज्ञ ही अनुबंध है.. काव्य पाठ से सरसता दी। संचालक कुंजबिहारी यादव ने प्रेम को यूं परिभाषित किया.. प्रेम राधा का गोविंद संग रास है प्रेम मीरा का गिरधर पे विश्वास है।कवियत्री अनामिका चौकसे ने सुमधुर गीत यूं गाया..रथ डोर थामे लो गिरधारी।सूर्य कांत साहू ने “में दीप का पुजारी”कविता सुनाकर अपनी उजली उजली प्रस्तुती दी।
उभरती कवियत्री ललित द्विवेदी ने सुंदर काव्यपाठ यूं किया.. श्याम गात कल कंज विलोचन काली कमली धारी।
कवि पत्रकार ललित श्रीवास्तव ने मां नर्मदा का नमन यूं किया.. कंकड़ भी शंकर हो जाते मां रेवा की धार में।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय ओज कवि गुरुवर अशोक त्रिपाठी ने भावपूर्ण गीत सुनाकर आयोजन में समां बांधा वहीं गीत के पक्ष में कहा ..
ग़ज़ल के अपने आनंद होते हैं,रस मलाई छंद होते हैं, मुक्तक का भी अपना मजा है दोस्तों,लेकिन गीत गोविंद होते हैं। आभार प्रदर्शन आयोजन समिति की ओर से ललित श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

फोटो सहित समाचार प्रकाशन हेतु सादर सानुरोध प्रेषित है।21..2..2025,

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