होली मिलन समारोह एवं बुद्धिजीवी सम्मेलन का सफल आयोजन।
होली मिलन समारोह एवं बुद्धिजीवी सम्मेलन का सफल आयोज।
हिन्दी साहित्य भारती ब्रज प्रान्त , एटा — स्थानीय क्षेत्र में होली मिलन समारोह के साथ बुद्धिजीवी सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्य और संस्कृति प्रेमियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. शैलजा दुबे का एकल काव्य पाठ, जिसमें उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी कविताओं में सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। एक दर्जन से अधिक कविताओं को सुनाने में उन्होंने कहा _ बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं।
समाज पर कुछ इस प्रकार तंज कसा कि, गिद्ध कुचालें चले, मगन मन रचे बहुत षडयंत्र।
चिरैया तुझ पर सौ प्रतिबन्ध।।
हम बहेंगे ज्यों नदी के कूल, खिल गए हैं गुल मोहर के फूल, कविता को बहुत सराहा गया।
अपने वक्तव्य में डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज ने हिन्दी साहित्य भारती के उद्देश्यों, गतिविधियों और साहित्य के प्रचार-प्रसार में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्था का उद्देश्य हिन्दी भाषा और साहित्य को समृद्ध करना, नवोदित रचनाकारों को प्रोत्साहित करना और साहित्यिक मूल्यों का संरक्षण करना है। उन्होंने आजीवन सदस्यता के लाभों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके माध्यम से साहित्य प्रेमी न केवल एक साहित्यिक परिवार का हिस्सा बन सकते हैं, बल्कि विभिन्न साहित्यिक आयोजनों, पत्रिकाओं और सम्मेलनों में भी सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं।
डॉ. आदित्य परिहार ने सभी साहित्य प्रेमियों से आह्वान किया कि वे हिन्दी साहित्य भारती के इस अभियान में सहभागी बनें और हिन्दी साहित्य के विकास में योगदान दें। कार्यक्रम के अंत में डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, श्रोताओं एवं आयोजकों का हृदय से आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मयंक तिवारी जी ने किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में ओज कवि श्री बलराम सरस ने भी शुभकामना संदेश प्रेषित कर कार्यक्रम की सराहना की और इसे साहित्यिक संस्कृति को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। होली गीत प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा, बजे नहीं मृदंग, मजा क्या होली में। नचे न भौजी संग मज़ा क्या होली में। श्री दिनेश प्रताप सिंह चौहान ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा।। शैतानों में हो गई काफी दहशत आज, नेता बनकर आ गया कौन हमारा बाज।।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. प्रेमीराम मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में कहा, “होली मिलन समारोह और बुद्धिजीवी सम्मेलन जैसे आयोजन समाज में आपसी प्रेम, सद्भाव और साहित्य के प्रचार-प्रसार का महत्वपूर्ण माध्यम हैं।” इस अवसर पर , “कैसे कहें और किससे कहें सब दर्द बताना भूल गए।”मार्मिक गीत सुनाकर आपने खूब तालियाँ बटोरीं।
समारोह में उपस्थित मित्रों और साहित्य प्रेमियों ने भी हर्ष प्रकट करते हुए इस प्रकार के आयोजनों को निरंतर जारी रखने की मांग की। मित्र मण्डली में डॉ मनोज शर्मा, श्रीमती गीता तौमर , शिवदत्त भारद्वाज, ललित कुलश्रेष्ठ, सुरेश दीक्षित, कृष भारद्वाज, अंजना शर्मा तथा स्प्रहा भारद्वाज की उपस्थिति सराहनीय रही। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक विचार-विमर्श और कल्याण मंत्र के साथ हुआ।