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भ्रम एवं अज्ञानता का सूचक शब्द है जाति।

भ्रम एवं अज्ञानता का सूचक शब्द है जाति।

जाति एक भ्रम व अज्ञानता भरी मानसिकता का सूचक शब्द है। वास्तव में इस पृथ्वीलोक पर मनुष्यों का केवल एक ही जाति है और वह है मानव जाति..! इसके अलावा वास्तव में कोई जाति होता ही नहीं है। पिछले शताब्दियों में किसी विशेष कार्य करने वाले व्यक्तियों को एक नामकरण के तहत श्रेणीगत उपमा दिया जाता था। वह आज भी दिया जाता है जैसे राज मिस्त्री जो मकान का निर्माण करेंगे। राज मिस्त्री तो किसी भी जाती पाती धर्म सम्प्रदाय का हो सकता है। राज मिस्त्री नाम अलंकरण तो केवल समझने के लिए है कि इस प्रकार के लोग मकान का निर्माण करते हैं वस्तुत: है तो वह आदमी या मनुष्य ही।

आज जब जमाना और समय बदला तो पिछले शताब्दियों में किए जा रहे विशेष कार्य या तो समाप्त हो गए या एक नया स्वरूप ले लिया। अर्थात जो जिस जाति नाम उपमा के था अब वह कार्य करे यह जरूरी नहीं है और न कोई कर रहा। कोई कुछ भी सत्कर्म कार्य करने को स्वतंत्र है। इस लिए जाति पाती के ऊंच नीच भरे दुर्भावना को जड़ से समाप्त करना होगा।
राजनीति महत्वकांक्षा को यदि दरकिनार कर दिया जाए तो व्यवहारिक जीवन में जाति-पाती ऊंच-नीच भरे भेद-भाव का कोई विशेष तवज्जो नहीं है।

वास्तव में हम सभी एक ही मानव जाति के हैं और एक दूसरे के सहयोग इस धरा पर जीवन-यापन कर रहे हैं। हम सभी को मानवता कि ओर अग्रसर होना चाहिए।

डॉ. अभिषेक कुमार
साहित्यकार व विचारक

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