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वृक्षों का उपचार किया जाना आवश्यक

वृक्षों का उपचार किया जाना आवश्यक

प्राचीन वृक्षों को जो अंदर से पोले या गिरने की कगार पर हो उसका उपचार भी किया जाना चाहिए ।वर्षा ऋतू में तेज हवा आंधी से कमजोर वृक्ष गिर जाते उनका उपचार किया जाए व ध्यान रखा जाए | ताकि जानमाल की हानि से बचा जा सकें | बरगद का पेड़ लगाए जाए क्योंकि इसकी आयु कई वर्ष होती है | पशु पक्षियों और इंसानों के लिए ये घना वृक्ष छाँव के साथ सुखद आसरा प्रदान करता है | इसके लगाने से प्रतीक्षालय बनाने के खर्चे का भार भी कम होगा |वृक्षारोपण करने के साथ पौधों की देखभाल भी आवश्यक है | वृक्षों को प्राचीन समय से लोग पूजते आ रहे है ,इसके पीछे भीषण गर्मी मे ठंडी सुखद छाँव प्राप्त होना, शुद्द हवा ,उदर- पोषण, सांसारिक जीवन के अंतिम पड़ाव में दाहसंस्कार में उपयोगी बनना ,पृथ्वी के तापमान को कम व् वर्षा के बादलों को अपनी और आकर्षित कर वर्षा कराना ( उदाहरण -चेरापूंजी ) ,दैनिक जीवन की आवश्यकता की आर्थिक रूप से पूर्ति करना एवं ईश्वर के रूप मनोकामनाओं का आशीर्वाद देना ही पेड का कर्तव्य है |फिर भी लालची इन्सान पेड को काटने हेतु अपने स्वार्थ को सिद्द करने मे लगा रहता है | राजस्थान के डूंगरपुर जिले के हर गांव में अब सबसे पुराने पेड़ को जननी वृक्ष का दर्जा दिए जाने की वृक्ष के सम्मान में प्रशंसनीय पहल की गई है ।वृक्षो की सुरक्षा और इनकी देखभाल इस योजना में बरगद ,खेजड़ी पीपल ,आम ,महुआ ,नीम ,सेमल, गुलर ,मोलश्री ,रायणी ,अर्जुन ,इमली ,कल्पवृक्ष आदि को ( मदर ट्री ) जननी के रूप में चयन किया गया है ।ऐसी योजना हर प्रदेश में लागू होना चाहिए मिट्टी के कटाव रोकने हेतु नदी के तट पर फलदार वृक्ष ज्यादा मात्रा में लगाया जाना चाहिए प्राचीन वृक्षों को जो अंदर से खोखले या गिरने की कगार पर हो उसका उपचार भी किया जाना चाहिए । नए पौधरोपण इस तरह करें ताकि बड़े होने पर उसे काटा ना जा सके | पौधारोपण करते समय उसकी सुरक्षा का इंतजाम पहले से करे। यदि हो सके तो अपनों की स्मृति में या उसे गोद लेकर पौधारोपण का संकल्प लेवे तो ये पुनीत कार्य सफल सिद्ध होगा |वृक्षों से ही जंगल, पहाड़ो का सोंदर्य है |वृक्ष ही इन्सान के मददगार एवं अंतिम पड़ाव तक का साथी होता है व पशु,पक्षियों को आसरा होता है | नासा के वैज्ञानिकों ने पिछले वर्षो के वैश्विक तापमान का मासिक विश्लेषण भी किया। मौसमों में ज्यादा बदलाव यानि अधिक गर्मी के करीब पहुँचना चिंतनीय सवाल खड़े करता है। क्या मौसम के निर्धारित माह अपने माह को आगे बढ़ा रहे है ?पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण मे बदलाव का बुरा असर लकड़ी पर भी हो रहा है |उसकी प्रकृति बदल रही है और उससे बनने वाले वाद्ययंत्रों मे वो मधुर स्वर नहीं पायेगे , जो पहले पाते थे । ये एक चिंता का विषय है |पर्यावरण मे बदलाव को सुधारने हेतु कारगर कदम उठाना होगा ,इस हेतु वृक्षारोपण ज्यादा करे एवं हरे भरे वृक्षों को कटने ना दे, |ताकि वाद्ययंत्रों मे वो मधुर स्वर और ऋतु चक्र सही हो सके|पृथ्वी को बचाने के लिए कुछ तो हमें करना होगा|
| जितने अधिक वृक्ष होगें वातावरण उतना ही शुद्ध एवं स्वच्छ होगा |वृक्षों होने से वन्य प्राणियों की जीवन सुखद होगा | भविष्य मे हरित क्रांति को विलुप्त होने से बचाने हेतु वर्षा ऋतु के समय वृक्षारोपण के पुनीत कार्य में भागीदारी निभाने की सोच विकसित करें |

संजय वर्मा ‘दॄष्टि ‘
125,बलिदानी भगतसिंह मार्ग
मनावर ( धार )मप्र
9893070756

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