श्री राम मिलेंगे
श्री राम मिलेंगे,
रंग रंग में राम मिलेंगे हर रंग के इंसान मिलेंगे।।
सीधे टेढ़े ऊँचे ठिगने दुबले मोटे खुरदुरे चिकने
मिटटी के भगवान मिलेंगे बिकने को तैैयार मिलेंगे।।
बड़े बड़े देवालय मन्दिर पंडित की बेड़ी से जकड़े
नामी परसादों को खाते राम लूटते राम मिलेंगे।।
दौलत लूट लूट घर भरतेअच्छाई की आस है रखते
भीख मांगते,ढोंग प्रपंच दिखाबा करते राम मिलेंगे।।
त्रिपुति बाला जी मंदिर में पुटपर्थी सांई बैष्णो में
दर्शन खातिर देते चढा़वा प्रतिदिन सीता राम मिलेंगे।।
गणपति नर्सिंग हनुमत के संग खेल खेलते राम मिलेंगे
दक्षिणेश्वर में जग के पालक रंग काले भगवान मिलेंगे।।
चंदा सूरज प्रति दिन आते जीव जंतु में खुशियाँ भरते
घर घर में श्री राम मिलेंगे राम रूपी इंसान मिलेंगे।।
सुबह शाम मजनूँ की भाँति गली चौराहे आहें भरते
राह देखते तन से जकड़े चाय को पीते शयाम मिलेंगेे।।
पैसे की दुनियाँ में प्यारे नाचते गाते डिस्को करते
सीटी कसते नाम कमाते हम सबके बलराम मिलेंगे।।
ऊँची नीची नजरों से शिक्षा पाते चौदह बर्षों तक
गाली देकर खेल खेलते भोले सीता राम मिलेंगे।।
शहर गांव बस्ती गलियों में धार्मिक उन्माद फैलाते
दंगा करते मंका गिराते दुर्योधन से राम मिलेंगे।।
अज्ञानी की बाहों में युद्ध छेत्र मैदानों में कृष्ण भीम से
सेवा करते वीरों के परशुराम ,हनुमान मिलेंगे।।
श्रम से मजदूरी पाते बच्चे गरीब के चिल्लाते
रुखी सूखी रोटी खाते उनकी बोली में राम मिलेंगे।।
मधु चरस भँगिया गाँजा में सत्य छोड़ते जुऑ खेलते
बेघर बन ठेके पर कई मानुष निष्काम मिलेंगे।।
ताश खेलते दहला पकड़ते किटी खेलके समय बिताते
छोटे बड़े गरीब आदमी दूर ढूढ़ते पास मिलेंगे ।।
राजनीति और अय्याशों में सीता हरते माया धरते
अंहकार की रक्षा करते रावण रूपी राम मिलेंगे।।
राजनीति का खेल खेलते दल बदलू पार्टी बदलते
हार दिलाते हैं विकास को नेताओं में राम मिलेंगें।।
विश्व के कोने कोने में तुलसी की रामायण पढते
सनातनी धर्म अपनाते रामायण में राम मिलेंगे।।
नीति सच्चाई के बल पर जीवन नैया जग की खेते
संघर्षों से युद्ध जीतते कल्युग में श्री राम मिलेंगे।।
जन्म भूमि अवधपुरी में सिया राम लक्षमण मिलेंगे
हनुमान के संग मिलेंगे रंग रंग में राम मिलेंगे।।
पत्रकार कवि के आँगन में सुख दुख के भीगे बसंत में
कवि काली के खुले ह्रदय से अब बढ़ते पैगाम मिलेंगे ।।
काली जबलपुरी काली दास ताम्रकार