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न जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते है – पं रुपनारायण शास्त्री जी

न जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते है – पं रुपनारायण शास्त्री जी

श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस की पावन कथा में जीवन की सार्थकता का बोध करते हुये कपिल देवहूति का पावन प्रसंग सुनाया जिसमे सांख्यदर्शन पर प्रकाश डालते हुये बताया कि मानव शरीर २४ तत्व में पांच ज्ञानेन्द्रिय,कर्मेंन्द्रिय,तन्मात्रा,महाभूत मन,बुध्दि,अहंकार का विस्तार से व्याख्यान दिया।
विदुर जी का पावन प्रसंग सुनाते हुये भगवान की करुणा का दर्शन कराया,भगवान वस्तु का भूखा नही है क्यों कि भगवान ने ही तो हमें जीवन दिया है उनको हम क्या दे सकते हैं।वे केवल प्रेम भाव प्राप्त करने के लिये लालायित रहते हैं तभी तो भगवान दुर्योधन के ५६भोग त्याग कर विदुर के घर में केले के छिलके पर ही रीझ गये और अपनी भक्ति का आश्रय प्रदान किया।
‘न जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं।
नही स्वीकार करते हैं निमंत्रण नृप सुयोधन का।
विदुर के घर पहुंचकर भोग छिलके का लगाते हैं।
उक्त उद्गार पंडित जी ने चैतन्य सिटी तिलहरी जबलपुर मध्यप्रदेश के श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त किए।

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