एक नई पहचान की ओर
एक नई पहचान की ओर
2023 मेरे जीवन का सबसे अनमोल सबक रहा है। यह दुखों और संघर्षों से भरा साल, जिसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया, असल में मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख बन गया। मैंने इस साल में वह सबकुछ खोया, जिसे मैंने अपने जीवन का आधार माना था। हर दिन ऐसा लगता था, जैसे दुखों का कोई अंत नहीं। लेकिन अब जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो महसूस करती हूं कि यह दुख ही मेरी ताकत बने। 2023 ने मुझे न केवल मेरी कमजोरियों का आईना दिखाया, बल्कि यह भी सिखाया कि हर टूटन के बाद एक नया निर्माण संभव है।
यह साल उन लोगों के लिए भी एक संदेश है, जो अपने जीवन में कठिन दौर से गुजर रहे हैं। यह बताता है कि हर कठिनाई के पीछे एक छिपा हुआ उद्देश्य होता है। जब सबकुछ खत्म होता हुआ लगता है, तब भीतर से ही एक नई शुरुआत का बीज अंकुरित होता है।
2024 ने मुझे एक नई पहचान दी। यह साल मेरे लिए न केवल दुखों के बीच जीने का हौसला बना, बल्कि उन दुखों को अपनी प्रेरणा में बदलने का मौका भी दिया। मैंने महसूस किया कि जीवन के हर पहलू—प्यार, दर्द, असफलता, और उम्मीद—का अपना एक महत्व है। 2024 ने मुझे यह सिखाया कि जीवन में सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों साथ चलते हैं। किसी भी नकारात्मक सोच को अपनी ताकत में बदलना ही असली जीत है।
मैंने इस दौरान अपने भीतर छिपे लेखक को महसूस किया। मेरे शब्द मेरे दर्द और हौसले का प्रतिबिंब बन गए। मैंने अपनी भावनाओं को कविता और कहानियों के रूप में व्यक्त किया, जो न केवल मेरे लिए राहत का माध्यम बने, बल्कि उन लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने, जो खुद को मेरी रचनाओं में ढूंढते हैं।
यह आलेख उन सभी के लिए है, जो किसी न किसी तरह से अपने जीवन में संघर्ष कर रहे हैं। यह बताने के लिए कि हर दर्द का एक मकसद होता है, और हर गिरावट के बाद उठने की क्षमता हमारे भीतर ही छिपी होती है।
2025 की ओर बढ़ते हुए, मैं चाहती हूं कि यह साल मेरे जीवन में एक नई ऊंचाई लेकर आए। मैं चाहती हूं कि मेरी कहानियां और कविताएं सिर्फ शब्द न रहें, बल्कि एक आंदोलन बनें। एक ऐसी आवाज, जो उन लोगों तक पहुंचे, जो अपने जीवन में खोए हुए महसूस करते हैं।
2025 मेरे लिए सिर्फ एक साल नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। मैं इसे उन सभी सपनों को पूरा करने का साल बनाना चाहती हूं, जो कभी मेरे दिल में थे। मैं चाहती हूं कि यह साल मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाए, बल्कि समाज में एक ऐसा स्थान दिलाए, जहां मैं दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकूं।
यह आलेख, जो मेरे जीवन के दर्द, संघर्ष, और उम्मीदों का समन्वय है, उन सभी के लिए है, जो अपनी पहचान ढूंढ रहे हैं। यह बताने के लिए कि हर असफलता एक सीढ़ी है, जो हमें हमारी मंज़िल तक पहुंचाती है। मेरी यह यात्रा, जो 2023 के अंधेरे से शुरू हुई थी, 2025 की उम्मीदों और उजालों पर आकर ठहरती है। यह सिर्फ मेरी कहानी नहीं, बल्कि उन सभी की कहानी है, जो जीवन के कठिन दौर से गुजरते हुए खुद को खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
याद रखें, जीवन में सबसे बड़ा सबक वह है, जो हमें हमारे सबसे कठिन समय से मिलता है। यह समय हमें तोड़ता नहीं, बल्कि हमें मजबूत बनाता है। मेरी यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब हम खुद को खो देते हैं, तो खुद को दोबारा ढूंढने का सफर ही असली पहचान देता है। यह आलेख उन सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हर अंधकार के बाद एक नई सुबह होती है।
कवयित्री –श्रीमती बसंती “दीपशिखा”
प्रतिष्ठित लेखिका, सामाजिक चिंतक,
परामर्शदाता,अध्यापिका व विभागाध्यक्ष
शहर हैदराबाद, वाराणसी, भारत।