प्रकृति
प्रकृति
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प्रकृति हमे जीवन मे
क्या क्या नही देती है,
आवश्यकताओं का ध्यान
जननी सा रखती है।
नेत्रों को सौंदर्य
सांसों को सुगंध,
कानो को संगीत
मन को उमंग।
हृदय में हमारे
भावनाएं भर देती है।
नवजात को दूध
खेतों को पानी,
सुन्दर समझ और
सहज मीठी वाणी।
समय के उपचार से
पीड़ाओं को भर देती है।
अंधों को ज्ञान
गूंगों को अनुमान,
भूलों को राह
अशक्तों को दान।
पेट की ज्वाला
शांत कर देती है।
रात्रि के बाद उजाला
ताप के बाद शीत,
दुख के बाद सुख
शत्रु के बाद मीत।
वियोग के बाद संयोग का
उपहार दे देती है।
सुगमता, सरलता
लौकिक, अलौकिक,
अनसुलझा, चमत्कारिक
आनंदानुभूति स्वर्गिक।
उचटे हुए मन को
आशाओं से तर देती है।
बदले में हम
सिर्फ चोट ही पहुंचाते,
जिस गोद में हैं सुरक्षित
वही गोद उजाड़े जाते।
अत्याचारों को हमारे
चुपचाप सह लेती है।
अनिल सिंह बच्चू
कुशीनगर (उ. प्र.)