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( बाल कहानी ) मुसीबत में चतुरता

( बाल कहानी )
मुसीबत में चतुरता

एक गांव में एक लड़की थी उसका नाम तपस्वी था।वह बहुत सुंदर और चतुर थी।वह माता पिता की इकलौती बेटी थी।
घर में मां का हाथ बताती पिता के साथ खेती का काम करती।अड़ोस पड़ोस के लोगों से स्नेह भरे दिल से बात करती।तपस्वी हर एक को पसंद आती।
एक दिन वह पिता की सहायता करने के लिए खेत की ओर जा रही थी।दूर से उसे एक जादूगर देख लिया।उसे हड़पने का प्रयत्न करना चाहा।
उसने लड़की के पास आकर उसे कुछ फल दिया और कहा कि ये फल भगवान के दिए फल है इसे हम ही खाना क्योंकि तुम सब को प्यारी लगती हो भगवान को भी इस लिए ये फल तुम्हे भगवान ने मेरे हाथ भेजा है
तपस्वी चतुर थी।उसने समझ लिया कि यह कोई बुरी सोच में कुछ करना चाहता है।ठीक है मैं भगवान की प्रार्थना करके इसे खाऊँगी कहकर फल अपने हाथ में ले ली।
लड़की भी अपनी साथ लाई हुई थैली में कुछ फल लाई थी।
तपस्वी ने उस आदमी से ठीक है अब हम दोनों भगवान की प्रार्थना करेंगे कहकर आँखें बंद करने को कहा लड़की की बात मानकर जादूगरआँखें बंद कर ली।मौका पाकर लड़की से उस फल को फेंककर अपने थैली में जो फल है उसे हाथ में ले ली।
जादूगर आँखें खोलकर देखा और फल खाने खो कहा।तपस्वी से फल खा के जमीन पर घिर गई (लड़की नाटक कर रही थी)
कड़की को अपने हाथों से उठाकर एक गुफा में गया।
लड़की को एक जगह लेटाकर अंदर गया।तपस्वी ने चुपके से वहाँ एक खंजर अपने हाथ में छुपाकर फिर चुपचाप लेट गई।
इतने में जादूगर वापस आया लड़की के पास गया।तपस्वी ने एक दम से खंजर उसके पेट में मार दिया।जादूगर नीचे गिर कर मर गया।
कुछ देर बाद तपस्वी के पिता जी उसे ढूंढते हुए आए।तपस्वी ने सारी कहानी बताई।पिता जी ने कहा शाबाश मेरी बेटी तुम्हारी चतुरता से आज एक राक्षस को मारा तुम हमारी दुर्गा हो बेटी।
तब उस गाँव में तपस्वी की साहसी,चतुरता के बारे में सब लोग जान गए उसकी और परिवार की मर्यादा और भी बढ़ गई।

नीति:मुसीबत में चतुरता से का करना है।

टी.आदि लक्ष्मी
हिंदी अध्यापिका
आंध्रप्रदेश

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