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गुरु नानक जी का सामाजिक पाथेय

गुरु नानक जी का सामाजिक पाथेय

डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज, कवि एवं साहित्यकार; एटा उत्तर प्रदेश;
गुरु नानक देव जी (1469-1539) सिख धर्म के संस्थापक और एक महान समाज सुधारक थे। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ मानवता के लिए एक अनमोल पाथेय हैं। उन्होंने सामाजिक सुधार के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक जागरूकता को भी बढ़ावा दिया। गुरु नानक जी का सामाजिक पाथेय समता, न्याय, सच्चाई, और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित था। आइए उनके सामाजिक पाथेय के प्रमुख पहलुओं पर चर्चा करें:
1. समानता का संदेश
गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने “एक ओंकार” के सिद्धांत के माध्यम से ईश्वर की एकता और सभी मनुष्यों की समानता का संदेश दिया। उनके अनुसार, सभी लोग एक ही परमात्मा की संतान हैं और सभी को समान रूप से सम्मान दिया जाना चाहिए।
2. लंगर प्रणाली
गुरु नानक देव जी ने लंगर की परंपरा शुरू की, जहां सभी जाति, धर्म और सामाजिक वर्ग के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह सामाजिक समानता का प्रतीक था और समाज में व्याप्त असमानता और भेदभाव को समाप्त करने का एक सशक्त माध्यम बना।
3. महिला सशक्तिकरण
उस समय समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव आम था। गुरु नानक जी ने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार और सम्मान देने का आग्रह किया। उन्होंने महिलाओं को आध्यात्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता प्रदान करने पर जोर दिया।
4. सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता
गुरु नानक जी ने अमीर-गरीब के बीच की खाई को पाटने और समाज में न्याय की स्थापना के लिए कार्य किया। उनका संदेश था कि हर व्यक्ति को ईमानदारी से मेहनत करनी चाहिए (“किरत करो”), ईश्वर का नाम स्मरण करना चाहिए (“नाम जपो”) और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए (“वंड छको”)।
5. धार्मिक सहिष्णुता
गुरु नानक देव जी ने धार्मिक कट्टरता और पाखंड का विरोध किया। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों को प्रेम और सहिष्णुता से जीने का संदेश दिया। उनके उपदेश धर्मनिरपेक्षता का आदर्श उदाहरण हैं।
6. सत्य और ईमानदारी का महत्व
गुरु नानक जी ने हमेशा सत्य बोलने और ईमानदारी से जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने भ्रष्टाचार, अन्याय और सामाजिक बुराइयों का खुलकर विरोध किया।
अन्ततः यह कहा जा सकता है कि गुरु नानक देव जी का सामाजिक पाथेय आज भी प्रासंगिक है। उनका संदेश हमें एक बेहतर और न्यायपूर्ण समाज बनाने की प्रेरणा देता है। उनका जीवन और शिक्षाएँ हमें सिखाती हैं कि मानवता की सेवा, समानता, प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलकर ही हम एक सुखद समाज का निर्माण कर सकते हैं। उनका संदेश शाश्वत और सार्वभौमिक है जो हर व्यक्ति के जीवन में सुधार और प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।

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