“आज ‘विश्व कैंसर दिवस’ के अवसर पर”
“आज ‘विश्व कैंसर दिवस’ के अवसर पर”
हमारे देश में हर साल लाखों लोग इस खतरनाक बीमारी से असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। यह बीमारी असाध्य या लाइलाज नहीं है और न ही इस से घबराकर डरने की ज़रूरत है।
चूँकि यह बीमारी भारत में हर साल 10 – 12 लाख लोगों को हो जाती है और इनमें से तमाम लोगों को पता ही नहीं चल पाता अतः इस से बचाव के लिये अत्यंत सजग रहने की ज़रूरत है। विशेषज्ञ डाक्टरों के अनुसार यह जटिल बीमारी 50 तरह की होतीं है किंतु महिलाओं में स्तन व गर्भाशय कैंसर तथा पुरुषों में प्रोस्टेट, दाँत, मुँह, मस्तिस्क आदि आदि ज्यादातर होते हैं। बहुधा वंशानुगत भी होती है यह बीमारी।
अतः यदि किसी की माँ या बहन को यह बीमारी हुई हो तो महिलाओं को स्वयं सतर्क हो जाना चाहिये और निरंतर चेक अप स्वयं तथा अस्पताल में भी जाकर करवाना चाहिये। प्रारम्भ में इलाज आसान होता है, परंतु दूसरी, तीसरी स्टेज तक बीमारी जटिल होती चली जाती है ।
केमोथेरेपी, रेडियोथेरपी, सर्जरी, हार्मोनल थेरेपी और औषधियो से उपचार यदि समय पर मिल जाये तो मरीज निश्चित रूप से ठीक हो जाता है और सावधानी रखने से पुनः इस से बचा जा सकता है, तम्बाकू, शराब पान मसाला व गुटखा आदि के सेवन से बचना चाहिये। यदि बीमारी की जानकारी मिल जाय तो कतई घबराना नहीं चाहिये , हौसला रखना चाहिये। डाक्टर का कहना मानना चाहिये और खान पान तथा दवाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिये ।
मैं (2007) स्वयं और मेरी पत्नी (2014) भी इस असाध्य बीमारी का सामना करके आज जीवित, स्वस्थ व सामान्य जीवन जी रहे हैं। पिछले आठ महीने से मैं अब प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित हूँ और इलाज करवा रहा हूँ। यद्यपि इलाज के समय बहुत तकलीफ होती है और धन भी बहुत खर्च होता है पर इनसे मुकाबला करके बीमारी से लडना आसान हो जाता है इतना ही न ही हम स्वयं स्वस्थ हो कर औरों को साहस प्रदान कर सकते हैं। समाज, सरकार और देश को इस बीमारी से सबको जागरूक बनाने के लिये भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।
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डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र, ‘आदित्य’
लखनऊ