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जर्द मौसम का सफर ( ग़ज़ल संग्रह)

जर्द मौसम का सफर ( ग़ज़ल संग्रह)

बड़ी से बड़ी और गहरी बात को चुटीले ढंग से प्रस्तुत कर देने की क्षमता या तो हिंदी के दोहे में होती है या तो उर्दू ग़ज़ल में। केवल दो मिसरों में बात के मुकम्मल हो जाने के कारण ग़ज़ल के अश’आर को आम जनमानस का भरपूर प्यार मिला।
ग़ज़ल एक शिल्प है और इसके शिल्पकार डॉ. अजय मालवीय ‘ बहार’ इलाहाबादी प्रयागराज की धरा के बेहतरीन कलमकार है जिन्होंने जर्द मौसम का सफर ग़ज़ल संग्रह साहित्य प्रेमियों की सेवा में प्रस्तुत किया है।
बहार इलाहाबादी ने जो गज़ल लिखी है उसमें हिन्दुस्तान की माटी की खुशबू है….. हवाओं की लचक है….. जमीन और आकाश का अक्स है। उनकी ग़ज़लों में हिंदुस्तान की आत्मा धड़कती है, भारतीयता का पूरा परिवेश नृत्य करता है। उनकी ग़ज़लों में हिंदी की आसान शब्दावली है जिसे कोई भी आसानी से समझ सकता है।
एक बानगी देखिए –

अहिंसा का हकीकत में अलंबरदार था गांधी।
अगर सच पूछिए तो कौम का सरदार था गांधी।।
अगर वो चाहता तो सदरे – हिन्दुस्तान बन जाता।
उसे कुर्बानियों का शौक था खुद्दार था गांधी।।

प्रकाशक – जय भारती प्रकाशन इलाहाबाद
गजलकार – डॉ अजय मालवीय ‘ बहार’ इलाहाबादी
संपर्क – 9451762890

कवि संगम त्रिपाठी
जबलपुर मध्यप्रदेश

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