राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के जयंती पर बारिश के कारण ऑनलाइन साहित्यिक संगोष्ठी
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के जयंती पर बारिश के कारण ऑनलाइन साहित्यिक संगोष्ठी
औरंगाबाद 3/8/24
जिला मुख्यालय औरंगाबाद की महत्वपूर्ण साहित्यिक संस्था जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में भारत के महान साहित्यकार,प्रथम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की 138वीं जयंती समारोह के मौके पर ऑनलाइन साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया।बारिश के कारण अयोजित ऑनलाइन गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने किया।जबकि संचालन की जिम्मेवारी उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने निभाई।गोष्ठी में विचार समन्वय करते हुए महामंत्री धनंजय जयपुरी,उपाध्यक्ष एवं समकालीन जवाबदेही पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा,संरक्षक मंडल ज्योतिर्विद शिवनारायण सिंह,डॉ रामाधार सिंह सहित अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों ने कहा कि द्विवेदी युग के प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त ने जब महावीर प्रसाद द्विवेदी का आलेख कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता पढ़ा तो गुप्त जी ने साकेत नाम से उर्मिला के इर्द-गिर्द घूमता हुआ महाकाव्य लिख दिया।साथ ही साथ अन्य उपेक्षित नारी पात्रों पर भी उनकी कलम चली और उन्होंने विष्णुप्रिया,यशोधरा शकुंतला,हिडिंबा, सैरन्ध्री जैसे भी काव्य लिखें। गुप्त जी कवि के साथ-साथ जननेता,नाटककार, एवं अनुवादक के रूप में भी ख्याति प्राप्त की थी। उनके प्रमुख काव्य कृति पंचवटी,सिद्धराज विश्व वेदना काव्य हिंदी साहित्य के पृष्ठभूमि वाले काव्य हैं। आजादी के लड़ाई में भी गुप्त जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके काव्य कृति भारत भारती ने पूरे भारतवासियों में राष्ट्र के प्रति संवेदना जगाने का कार्य किया था। महात्मा गांधी ने इसी कृति पर उन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि प्रदान की थी।उनकी रचना इतनी सहज और सरल होती हैं जो हर किसी के जुबान पर चढ़ जाती हैं। गुप्त जी को हिंदुस्तान साहित्य अकादमी पुरस्कार,मंगला प्रसाद पुरस्कार,साहित्य वाचस्पति एवं पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था।गोष्ठी के मौके पर सुजीत कुमार सिंह, राणा सुनील रामपुकार ओझा,गायक अमित कुमार सिंह,सोम प्रकाश रविकर सौरभ राज सहित अन्य लोगों की विशेष सहभागिता रही।