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माँ भारती की आरती

 

माँ भारती की आरती उतारे हम भारती
जन्मों का भाग्य जगायें हम भारती..
कष्टों में माँ हमें है सहलाती
गोदी में हमें वह लेकर सुलाती
अपनी करुणा के मोती वह हम पर लुटाती
आंखों में सबके वो सपने सजाती
माँ भारती की आरती उतारे हम भारती
जन्मों का भाग्य जगायें हम भारती…..

धानी परिधान में वह कितना भाती
हम पर वह सब कुछ लुटाती
देवों की जन्मभूमि
ऋषियों की त्याग भूमि
कृष्ण और राम की
यह कर्म भूमि कहलाती….
माँ भारती की आरती उतारे हम भारती
जन्मों के भाग्य जगायें हम भारती….

प्रेम व दया की वो प्रति मूर्त हैं
सबके स्वाभिमान वह जीत है
माँ के चरणों से सबकी प्रीत है,
मां भारती की आरती उतारे हम भारती
जन्मों के भाग्य जगायें हम भारती..|

महाश्वेता राजे
शिक्षक – साहित्यकार
{ प्रतापगढ़ – उत्तर प्रदेश }

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