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भक्ति आंदोलन में हिन्दी भाषा

भक्ति आंदोलन में हिन्दी भाषा

साहित्य जगत का मध्यकाल
जो भक्ति काल कहलाता है,
भक्ति आन्दोलन में हिन्दी भाषा
विकसित खूब हुई फली फूली है।
भारत के तत्कालीन भक्त कवियों ने,
अपनी लिखनी को जन-जन तक
हिंदी भाषा के सहारे पहुंचाया है,
हिंदी ने भक्तिकाल में गौरव पाया है।

भक्तिकाल में सगुण और निर्गुण भक्ति मार्ग के आने वाले कवियों में प्रमुख कबीर, तुलसी, सूरदास, नंददास, कृष्णदास परमानंददास हैं।

साथ में कुंभनदास, चतुर्भुजदास, छीतस्वामी, हितहरिवंश, मीराबाई,
गोविन्दस्वामी, गदाधर भट्ट, हरिदास,
केशवदास,सूरदास, मदनमोहन हैं।
श्रीभट्ट, रसखान, ध्रुवदास, चैतन्य महाप्रभु, रहीमदास, बिहारी दास इत्यादि सगुण, निर्गुण विचारधारा
की भक्ति भाव का प्रभाव प्रवाह है।

भक्तिकाल में दूसरी प्रमुख प्रवृत्ति आमजन हिताय नैतिकता रही है,
भक्तिकाल आमजन के लिए सदाचार, ईश्वर भक्ति रही है।
आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने
को भक्ति काल प्रेरित करता है,
आदित्य हिन्दी का समुचित विकास
भक्तिकाल, मध्य युग में ही हुआ है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ

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