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(हिन्दी सप्ताह पर विशेष) हिन्दी: राष्ट्र भाषा नहीं, लेकिन विश्व भाषा

(हिन्दी सप्ताह पर विशेष)
हिन्दी: राष्ट्र भाषा नहीं, लेकिन विश्व भाषा

1. आधार पीठिका :-
हिन्दी, भारत की एक प्रमुख भाषा, न केवल एक विशाल जनसंख्या की मातृभाषा है बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। हालांकि यह भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है, इसे विश्व भाषा के रूप में देखा जा सकता है। यह आलेख हिन्दी की वैश्विक उपस्थिति और इसकी व्यापकता पर प्रकाश डालने हेतु प्रस्तुत है :-
2. हिन्दी की भाषाई स्थिति:-
हिन्दी भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्रमुख भाषा है और यह भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं में शामिल है। इसे भारतीय सरकार द्वारा एक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन इसे भारत की ‘राष्ट्र भाषा’ का दर्जा प्राप्त नहीं है। भारत में 22 प्रमुख भाषाओं के होने के कारण कोई एक भाषा राष्ट्र भाषा के रूप में नहीं अपनाई गई है।
3. हिन्दी का वैश्विक प्रभाव:-
हिन्दी का वैश्विक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। इसकी महत्ता को समझने के लिए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर गौर करना आवश्यक है !
हिन्दी, भारत के बाहर कई देशों और विश्वविद्यालयों में सिखाई जाती है। इसके विस्तार को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदु द्रष्टव्य हैं :-
क. देशों की सूची:
संयुक्त राज्य अमेरिका: कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में जैसे कि हार्वर्ड, येल, और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में हिन्दी भाषा के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
यूके (ब्रिटेन): ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) जैसी संस्थाओं में भी हिन्दी पढ़ाई जाती है।
ऑस्ट्रेलिया: विश्वविद्यालयों जैसे कि सिडनी और मेलबर्न में हिन्दी का अध्ययन किया जाता है।
कनाडा: टोरंटो, ब्रुक्स और अन्य विश्वविद्यालयों में हिन्दी के पाठ्यक्रम मौजूद हैं।
– जर्मनी: फ्रैंकफर्ट, बर्लिन और हेडल्बर्ग विश्वविद्यालयों में भी हिन्दी सिखाई जाती है।
– फ्रांस:पेरिस और अन्य शहरों में हिन्दी के पाठ्यक्रम हैं।
– नीदरलैंड्स: अम्स्टर्डम और लेइडेन विश्वविद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन किया जाता है।
– सिंगापुर और मलेशिया: इन देशों में भी हिन्दी पढ़ाई जाती है, खासकर भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी के कारण।
ख. विश्वविद्यालयों की सूची:
– संयुक्त राज्य अमेरिका: हार्वर्ड विश्वविद्यालय, येल विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले, और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो।
– यूके: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL)।
– ऑस्ट्रेलिया: यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और अन्य।
– कनाडा: यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रुक्स और अन्य।
– जर्मनी: फ्रैंकफर्ट विश्वविद्यालय, हेडल्बर्ग विश्वविद्यालय, और बर्लिन विश्वविद्यालय।
– फ्रांस: पेरिस विश्वविद्यालय और अन्य प्रमुख शिक्षण संस्थान।
– नीदरलैंड्स: यूनिवर्सिटी ऑफ अम्स्टर्डम और लेइडेन विश्वविद्यालय।
हिन्दी की वैश्विक उपस्थिति विभिन्न देशों और विश्वविद्यालयों में बढ़ रही है। यह सांस्कृतिक, शैक्षणिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती जा रही है। विभिन्न देशों में हिन्दी के पाठ्यक्रम और अध्ययन की उपलब्धता इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी एक विश्व भाषा के रूप में अपनी पहचान बना रही है।
– संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व:हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र के कई संगठनों में एक मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में देखा जाता है, हालांकि यह आधिकारिक भाषा नहीं है। इसके बावजूद, विश्व स्तर पर कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में हिन्दी का उपयोग बढ़ रहा है।
– मीडिया और मनोरंजन उद्योग:भारतीय सिनेमा, विशेष रूप से बॉलीवुड, ने हिन्दी को वैश्विक मंच पर लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्दी फिल्मों का वैश्विक दर्शक वर्ग है और यह भाषा विभिन्न देशों में लोकप्रिय हो रही है।
– प्रवासी भारतीयों की भूमिका:भारतीय प्रवासी समुदाय, जो कई देशों में फैला हुआ है, हिन्दी को अपनी सांस्कृतिक पहचान और सम्प्रेषण की भाषा के रूप में उपयोग करता है। इससे हिन्दी की वैश्विक उपस्थिति और महत्वपूर्णता में इजाफा हुआ है।
– भाषाई शिक्षा और साहित्य:कई विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में हिन्दी को एक अध्ययन विषय के रूप में शामिल किया गया है, जिसका विवरण ऊपर दिया जा चुका है, इसके अतिरिक्त, हिन्दी साहित्य का अनुवाद और प्रचार भी वैश्विक स्तर पर हो रहा है।
4. हिन्दी का भविष्य और चुनौतियाँ:-
हिन्दी के वैश्विक प्रभाव के बावजूद, इसे अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
– भाषाई विविधता: भारत में भाषाओं की विविधता के कारण, हिन्दी को अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ सह-अस्तित्व में रहने की चुनौती है।
– आधुनिक शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र:डिजिटल युग में हिन्दी को तकनीकी और ऑनलाइन सामग्री के क्षेत्र में और विकास की आवश्यकता है।
– सांस्कृतिक पहचान और प्रबंधन: वैश्विककरण के चलते हिन्दी की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
5. निष्कर्ष:-
हिन्दी, जो भारत में एक प्रमुख भाषा है, वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। हालांकि इसे भारत की राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है, इसके बावजूद यह एक महत्वपूर्ण विश्व भाषा बन चुकी है। हिन्दी की वैश्विक उपस्थिति को देखते हुए, इसका भविष्य उज्जवल नजर आता है, बशर्ते इसे सांस्कृतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करते हुए विकास की दिशा में आगे बढ़ाया जाए।

डॉ ओउम् ऋषि भारद्वाज
प्रवक्ता – असीसी काॅन्वेंट (सी.सै.) स्कूल एटा उत्तर प्रदेश
207001

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