माँ की ममता
:: माँ की ममता ::
यह प्यार, तुझी से शुरू हुआ, और खत्म, तुझी पर होना है ।
तू मेरा, हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।0।।
तुम मुझसे ही जुड़ चुके हो अब, उस दिन जब ये एहसास हुआ ।
मन ही मन, मैंने खुश होकर, हर दर पर माँगी, यही दुआ ।।
भगवान मुझे शक्ति देना, कर्तव्य पूर्ण कर पाऊँ मैं ।
माँ बनने का सुख प्राप्त करूँ, और, अपना फ़र्ज निभाऊँ मैं ।।
मन पुलकित होकर झूम उठा, सँग दिल का कोना कोना है ।
तू मेरा हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।1।।
जब, इस दुनिया में तुम आये, वह पल मेरा अनमोल हुआ ।
अनुभूति हुई सुखद सी जब, मैंने तुमको था प्रथम छुआ ।।
इस जग की इक अनमोल कृति, क्या होती है मैंने जाना ।
जब गोद में लाकर मुझे दिया, तब मैंने तुझको पहचाना ।।
तू क्या जाने कि तू क्या है, मेरी जान का एक खिलौना है ।
तू मेरा हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।2।।
पलने में तुझे लिटाकर मैं, जब लोरी रोज सुनाती थी ।
मुस्कान तुम्हारी देख-देख, मैं धन्य हुई सी जाती थी ।।
डगमग पैरों से इधर-उधर, चलना, गिरना, फिर उठ जाना ।
गिर जाने पर तेरा रोना, मेरा ख़ुद मुझको समझाना ।।
ये बड़ी-बड़ी आंखों वाला, ज्यों हिरनी का कोई छौना है ।
तू मेरा हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।3।।
जब नन्हें-नन्हें हाथों से, मेरे बाल, गाल खींचा करते ।
तब दर्द नहीं था, आँखों से, खुशियों के मोती थे झरते ।।
तुम्हें खाना खाते देखके ही, मैं स्वयं तृप्त हो जाती थी ।
बस, हाथ जोड़ प्रभु के आगे, मैं ढ़ेर तसल्ली पाती थी ।।
तू मेरा कृष्ण कन्हैया है, तेरा मुखड़ा बड़ा सलोना है ।
तू मेरा हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।4।।
तू अग़र कभी बीमार हुआ, मैं रात-रात भर जागी हूँ ।
तेरी उम्रदराज़ी की ख़ातिर, हर दर पर लेकर भागी हूँ ।।
इस जग की सारी माताऐं, हर शिशु का पालन करतीं हैं ।
उसे नज़र लगे न, कभी कोई, वो मन ही मन में डरती हैं ।।
माँ का आँचल और गोद, सदा ही, शिशु का नरम बिछौना है ।
तू मेरा हीरा-मोती है, तू मेरा, चाँदी-सोना है ।।5।।
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अमर सिंह वर्मा, जबलपुर.