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जिंदगी ( हसीन लम्हा)
जिंदगी का यादगार लम्हा जो भुलाए नहीं भूलता बस उसके रंग अलग अलग हैं।

जिंदगी भगवान की सौगात हैं
जिंदगी मानव की मानवता हैं
जिंदगी प्यार की सौगात हैं, जिंदगी वो मकसद हैं जिसे हमें
बिना रुके बिना डरे प्राप्त करना हैं।
हे मानव ! जिंदगी एक प्रतियोगिता नही, एक बोझ नही हैं।
जिसमे हर पल , हर समय हम एक दूसरे से अपनी तुलना करते रहते हैं।
सबके अपने अपने विचार होते हैं,अपने अपने गुण होते हैं।
कोई किसान हैं,तो कोई मजदूर,कोई अध्यापक हैं तो कोई डॉक्टर,
कोई मंत्री हैं,तो कोई प्रधानमंत्री,
सबकी अपनी अपनी पहचान,धरती पर हैं उनका निशान

मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल,
जब मैं तेरी बाहों में थी,
वो सबसे खूबसूरत लम्हा,
जब मेरी सांसों ने तुम्हारी सांसों को स्पर्श किया।
मेरे विचारों का उनके विचारों से मंथन होना,
कोई अमृत के पान करने से कम न था।

मेरी जिंदगी का वो सबसे खूबसूरत पल,
जी तो चाहता था , जिंदगी का वो पल वही थम सा जाए ,
रुक जाए जाता हुआ लम्हा।
जी ली उस पल में सारी जिंदगी,
वो किसी कायनात से कम न थी।
इतना प्रेम कभी किसी से न मिला,
न अपनेपन का मार्मिक स्पर्श,
मुझे दरकार थी तेरे प्यार की,
बस अब और न कुछ चाहिए,
पूरे हो गए अरमान सारे,
वो मेरी जिंदगी का खूबसूरत पल।

याद करें हम जिंदगी का वो लम्हा,
जब कुछ अच्छा भी हुआ होगा ।
सपनों को सच होते हमने देखा होगा।
अपनों के संग खुशियां मनाई होगी।
चैन की नींद ली होगी।
क्योंकि वो भी एक खूबसूरत पल था।

प्यारे दोस्तों जिंदगी खुशियों का बाजार नहीं जहां खुशियां ही खुशियां
हो।
यहां धोखा, छल, कपट सब मिलता हैं।
बस सहने की ताकत होनी चाहिए,सब आसान हो जाएगा।
यहां रोओगे तो जिंदगी दुखों का सागर,
यहां हँसोगे तो खुशियां ही खुशियां।
क्योंकि अपना हर पल खूबसूरत होता है।
प्राची शुक्ला
अध्यापिका हिंदी
पुणे महारास्ट्र

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