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भगवती चरण वर्मा के जयंती के पर सामयिक संवाद हिंदी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चर्चा

भगवती चरण वर्मा के जयंती के पर सामयिक संवाद
हिंदी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चर्चा
औरंगाबाद 30/8/24

सदर प्रखंड स्थित ग्राम जम्होर में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में भारत के महान साहित्यकार भगवती चरण वर्मा की 127 वीं जयंती पर सामयिक संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह,उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र,महामंत्री धनंजय जयपुरी के आह्वान पर संवाद करते हुए जिला उपाध्यक्ष सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि भगवती चरण वर्मा उपन्यासकार के रूप में हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट उपलब्धि हासिल की थी। चित्रलेखा उपन्यास धार्मिक संप्रेषणीयता को प्रेरित पाप और पुण्य का पता लगाने की कथानक पर आधारित है। इस उपन्यास में भगवती चरण वर्मा जी कहते हैं कि संसार में पाप कुछ भी नहीं है यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है। उनके अन्य उपन्यास टेढ़े-मेढ़े रास्ते हिंदी साहित्य के प्रथम राजनीतिक उपन्यास का दर्जा प्राप्तहै इसमें मार्क्सवाद की आलोचना भी की गई है। सीधी सच्ची बातें रचना में बेबाक टिप्पणी की गई है।कहानी संग्रह दो बांके उनकी उत्कृष्ट कृतियों में से एक है।कविता संग्रह मधुकण एवं प्रेमसंगीत रचना हृदय में संवेदना को जगाने वाली है।वर्मा जी के अधिकतर रचनाएं सामयिक घटनाओं से भी प्रेरित हैं तो वही ऐतिहासिक प्रतिमानों को भी प्रदर्शित करने वाली हैं।संवाद के मौके पर सुजीत कुमार सिंह, राणा सुनील,राहुल कुमार,पवन कुमार सिंह,राम पुकार ओझा, सोम प्रकाश रविकर,सौरभ राज सहित अन्य उपस्थित थे।

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