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प्यारे पापा

प्यारे पापा

पापा, तुम जल्दी न जाते, तो हम इतने दुख ना पाते ।
आज आपकी कमी खल रही, मन की पीड़ा, किसे बताते।।

आपका जाना दुखी कर गया, सुख-दुख में तुम हाथ बंटाते ।
आज दुखी है प्यारी मम्मी, हम सब मन ही मन घबराते ।।

त्योहारों पर हम सबके ही, नए-नए कपड़े सिलवाते ।
ख़ूब मिठाई, फल, मेवे और, ढ़ेर खिलौने भी दिलवाते ।।

रोज कहानी हमें सुनाते, रोज घुमाने भी ले जाते ।
सभी भाई-बहनों को लेकर, मेले की तुम सैर कराते ।।

दीदी को तुम लाड़ लड़ाते, बिटिया कहकर उसे बुलाते ।
अपने हाथों से ही एक दिन, डोली में तुम उसे बिठाते ।।

मुझे याद है बीमारी में, मेरे सिर पर हाथ फिराते ।
अगर पीठ पर मैं चढ़ जाता, घोड़ा बन घर भर में घुमाते ।।

झूठ-मूठ नाराज जो होता, बड़े प्यार से मुझे मनाते ।
हाथ पकड़कर लाड़ लड़ाते, मेरे गालों को सहलाते ।।

अपने कांधे पर बैठाते, गोदी लेकर हमें घुमाते
बागों की तुम सैर कराकर, नई-नई बातें बतलाते ।।

दूर बहुत स्कूल हमारा, वापस आते, हम थक जाते ।
अब मैं पैदल ही जाता हूं, तब साइकिल से आते-जाते ।।

फीस समय पर भर दी जाती, कक्षा में हम अव्वल आते ।
अग़र किताबें हमको मिलतीं, अगली कक्षा में पढ़ पाते ।।

प्यार आपका याद आता है, उसको तो हम भूल न पाते ।
हरदम ही पुचकारा करते, हरदम सीधी राह बताते ।।

चहल-पहल रहती थी, पर अब, सूनेपन में समय बिताते ।
सदा सामने रहते, मेरा, सपना बनकर कभी ना आते ।।

अमर सिंह वर्मा
जबलपुर मध्यप्रदेश

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