कबीर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम संपन्न
कबीर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम संपन्न
कबीर दास की उलटी बानी
समझ गया वो बन गया ज्ञानी
बक्सर, २२/जून /२०२४, ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष के पावन पर्व पर, भोजपुरी दुलार मंच, एवं प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा,भारत के संयुक्त तत्वावधान में, मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष, एवं सभा के सलाहकार, डॉ ०ओमप्रकाश केसरी पवननन्दन, के संयोजन एवं संचालन में__भारत वर्ष के महान संत, पाखंड के प्रबल विरोधी, मानव एवं मानवता के पक्षघर, भोजपुरी भाषा के पहले कवि,सभी के चहेते__संत कबीर दास जी की भव्य जयंती समारोह, पार्वती निवास परिसर में भव्य रूप से सम्पन्न हुआ.
आयोजित जयंती समारोह का उद्धघाटन, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति,ब्रह्म पुर महोत्सव के पीठाधीश्वर, जगदगुरू उपाधिप्राप्त _डॉ ०धर्मेन्द्र आचार्य, प्रसिद्द चिकित्सक डॉ महेंद्र प्रसाद, न०प०के पूर्व चेयरमैन श्रीमती मीना सिंह द्वारा संयुक्त रूप से संत कबीर जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके एवं चित्र पर माल्यार्पण करके किया गया.
समारोह की अध्यक्षता वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी द्वारा किया गया.
अपने उद्धघाटन भाषण के दौरान आचार्य जी ने संत कबीर जी को एक महान मानवता वादी बताते हुए उनके कार्यों की विशेष बातों का जिक्र किये.
डॉ महेंद्र जी ने कबीर जी पाखंडों के विरुद्ध खडा होते बताया.
श्रीमती मीना सिंह, जीने कबीर जी को मानवता के लिए समर्पित बतायी.
अध्क्षता करते हुए, रामेश्वर प्रसाद वर्मा जी ने कबीर जी को नमन करते हुए, एक आन्दोलन कारी व्यक्ति बताये.
गणेश उपाध्याय ने संर्धष शील व्यक्तित्व बताये, डा० शशांक शेखर ने अवतारवादी बताये, शशि भूषण मिश्र, मानवता वादी बताये तो, शिव बहादुर पांडेय जीने अनोखे व्यक्ति का मालिक बताये, राजा रमण पांडेय मिठास ने अद्भूत जीवन वाला व्यक्ति के रूप में चर्चा की, रामेश्वर मिश्र विहान ने शिक्षाविद्,तो महेश्वर ओझा महेश ने सामाजिक आन्दोलन के रूप में बताये.
बाबाधाम के रत्नेश राही जी ने कविता के माध्यम से अपनी बात कही,अतुल मोहन जी, सुहाग जी, लक्ष्मण जी,अनिल राणा ने भी अपनी बातों द्वारा कबीर जीके बारे अपनी बातों को साझा किये तो वहीं ई०रामाधार सिंह ने अपनी एक आलेख के द्वारा अपनी बात कही.विनोधर ओझा, गोपाल जी तिवारी, राजूगुप्ता आदि सहित अन्य महानुभावों नेभी अपनी बातों कोपटल पर रखे.
संचालन कर्ता _डॉ ०पवननन्दन, ने उपस्थित सभी महानुभावों को आदर समर्पित करते हुए, संत कबीर जी को नमन करते हुए अपनी बातों कोसाझा करते हुए, कहा__कि कबीर का अर्थ होता है__महान.
संत कबीर बचपन से ही अभाव में जीते रहे ओर पलते__बढते गये. रामानन्द गुरु बनाने में बहुत पापड बेलना पडा. ये हिन्दू ओर मुसलमान दोनोें को अपनी बातों से मानवता अपनाने जोर देते रहे और रूढ़िवादिता से दूर रहने की सलाह देते , दोनों को पाखंड से बचने का सलाह देने के साथ बताये की मानव एवं मानवता की सेवा करों.
वे कहा करते थे कि तुम जो लिखा है उसको मानते हो, लेकिन मैं जोംदेखता हूं उसी को कहता हूं.
कबीर दास की उलटी बानी में बडी ताकत है.
जो घर जारै आपना चलै हमारै साथ.
कबीर दास की उलटी समझ गया वो बन गया ज्ञानी.
तेरा__मेरा करते__करते युग बीत गया , लेकिन यह तेरा__मेरा आजतक खत्म नहीं हुआ.
मरने के बाद जब कुछ लेकर नहीं जाना है तब काहे का इतना बखेड़ा करने का.
सब परमात्मा का ही तो है.
संतकबीर भोजपुरी भाषा मेंംअपनी रचना तभी उनको भोजपुरी का पहला कवि कहा जाता है.
वे हिन्दू एवं मुसलमान दोनोें के लिए एक समान थे.
आज पूरा विश्व जिन__जिन समस्याओं से जूझ रहा है, झुलस रहा है__अगर हम सभी सच्चे दिल से संतकबीर की बातों को अपनाने की तरफ बढ़े तो बहुत हद तक हम सभी तमाम समस्याओं से निजात पा सकतें हैं.
कन्हैया दुबे जी के आभार के साथ संत कबीर जयंती का विराम हुआ।