लघु कथा- ” नई सोच “
लघु कथा- ” नई सोच “
श्यामा ने अपने पति रोहन से कहा, ” क्या आपके गांव में ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं?रोहन ने कहा,’ यह प्रश्न तुम्हारे मन में क्यों आया?
रीता ने कहा,” उसे भगेलु की मां ने बताया कि वह कल बैंक गई थी। वहां उसके गांव के लोग बैंक से पैसा निकालने व अपने खाते में पैसा जमा करने के लिए कुछ पैसा किसी खास व्यक्ति को पर्ची भरने के लिए देते हैं। भगेलु की मां ने भी ₹10 देकर निकासी पर्ची भरवाई।”
श्यामा ने कहा,”आपको पता है, कभी-कभी तो औरतें पर्ची लिखने वाले से रूपया गिन कर लिखने को कहती हैं ।उनके रुपए की गिनती वे गलत कर कुछ रुपए वे चुरा लेते हैं। मैं चाहती हूं कि मैं घर गृहस्ती से कुछ समय निकालकर आपके गांव के लोगों को शिक्षित करने का कार्य करूं।”
रोहन ने कहा,” रीता!तुमने मेरी अभिलाषा पूरी कर दी। मैं बहुत दिनों से सोच रहा था कि हम दोनों समाज को शिक्षित करने का प्रयास करते।”
अपनी पत्नी की सृजनात्मक सोच से अभिभूत रोहन की आंखें अश्रु से भर गईं।
— बिनोद कुमार पाण्डेय–
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