विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
धरती अगर बचानी है तो पर्यावरण बचाना होगा
नित कटते हैं पेड़ हजारों,कुछ तो हमें लगाना होगा
बिगड़ गया प्रकृति का संतुलन पेड़ों के नित कटने से
इनकी रक्षा करने की अब हमको जुगत भिड़ाना होगा
मानव के हित खूब तरक्की,करिये बहुत जरूरी है
पर निरीह पक्षी पशुओं की जान भी हमें बचाना होगा
उजड़ रहे उनके आशियाने, मारे- मारे वो फिरते हैं
भूख प्यास से मरें नहीं वो उनकी जान बचाना होगा
नदियां,पेड़, पहाड़,जीव सब पर्यावरण के अंश कहाते
सबका रखना ध्यान हमें, वरना हमको पछताना होगा
कम होते पेड़ों से सारे मौसम दिन-दिन बदल रहे हैं
अगर अभी भी हम न चेते,कीमत बड़ी चुकाना होगा
उजड़ गई धरती की गोदी बेवा नारी सी लगती है
हरे -भरे वृक्षों की हरियाली से इसे सजाना होगा
आने वाली पीढ़ी को हम सोचो क्या देकर जायेंगे
दूषित हवा, प्रदूषित नदियां, क्या ये ही नज़राना होगा ?
जन्मदिवस और सालगिरह पर एक एक पेड़ लगाएंगे सब
पर्यावरण बचाने सबको ये भी नियम बनाना होगा
सोना-चांदी, हीरे -मोती ‘तरुणा’ सब बेकार लगेंगे
पास अगर उनकी सांसों का ही नहीं खजाना होगा ।
तरुणा खरे जबलपुर